West Bengal: पंचायत चुनााव 2023 व लोकसभा चुनाव 2024 का रोडमैप तैयार करने में जुटी भाजपा
पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से निराश भाजपा राज्य में सत्ता पाने के लक्ष्य से तृणमूल को घेरने का प्रयास कर रही है और पार्टी के महासचिव सुनील बंसल को उम्मीद है कि नई रणनीति राज्य में पार्टी में नई जान फूंकने में सक्षम होगी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। अंतर्कलह, नेताओं में गुटबाजी समेत कई समयस्याओं से जूझ रही भाजपा बंगाल इकाई भ्रष्टाचार के मामलों में घिरी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को चुनौती देने के लिए नए सिरे से रणनीति बनाकर घेरने के प्रयास में है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से निराश भाजपा राज्य में सत्ता पाने के लक्ष्य से तृणमूल को घेरने का प्रयास कर रही है और पार्टी के महासचिव सुनील बंसल को उम्मीद है कि नई रणनीति राज्य में पार्टी में नई जान फूंकने में सक्षम होगी। बंसल ने कहा कि आने वाले दिनों में पार्टी की स्थिति सुधरेगी। उनका कहना है कि नहीं लगता कि कोई बड़ी समस्या है। जो भी मुद्दे हैं, उनका समाधान निकाल लिया जाएगा। हम दुर्गा पूजा के बाद अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव और 2024 लोकसभा चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करेंगे।
भाजपा में नए सिरे से जान फूंकने की रणनीति
भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने भी कहा कि पार्टी नेतृत्व को आशा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में पार्टी में नए सिरे से जान फूंकने के लिए रणनीति तैयार कर ली जाएगी। भट्टाचार्य ने कहा कि यह सच है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद से पार्टी के भीतर मतभेद हैं। लेकिन वह हालात पर जल्दी काबू पा लेगी। चुनावों के बाद तृणमूल कांग्रेस द्वारा की गई राजनीतिक हिंसा, पार्टी का मनोबल कमजोर पड़ने की सबसे बड़ी वजह है। 8,000 से ज्यादा कार्यकर्ता बेघर हो गए हैं। भाजपा के अंदरूनी कुछ लोगों का कहना है कि राज्य में मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद पार्टी अभी तक तृणमूल को घेरने में नाकाम रही है ‘वह भी ऐसे वक्त में जब भ्रष्टाचार से लिप्त सत्तारूढ़ दल सत्ता में आने के बाद अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहा है।’
तृणमूल से लड़ने से पहले घर ठीक करने की उठ रही है मांग
बार-बार आत्मावलोकन की बात कहने वाले पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अनुपम हजारा का कहना है कि राज्य नेतृत्व को सभी को, नए और पुरानों को, साथ लेकर चलना चाहिए। अनुभवी नेताओं को नजरअंदाज करने से हालात और बिगड़े हैं। इन हालात को बदलना होगा। हमें पहले अपने घर को ठीक करना होगा, और उसके बाद हमें तृणमूल के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी। विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही अपनी टीम को एकजुट रखने के लिए संघर्ष कर रही पार्टी को इस साल कुछ अंदरूनी विद्राह का भी सामना करना पड़ा, जहां कई नेताओं ने नेतृत्व के खिलाफ खुलकर सभी के सामने बोला। इस दौरान पार्टी के कई बड़े नेता बाबुल सुप्रियो, अर्जुन सिंह और मुकुल राय आदि ने तृणमूल का फिर से दामन थाम लिया। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनावों के बाद हुए सभी चुनावों में राज्य में पार्टी का वोट प्रतिशत भी कम हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक उपराष्ट्रपति चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी के भाग नहीं लेने के बाद चलाए जा रहे अभियान में तृणमूल और भाजपा के बीच ‘रणनीतिक साझेदारी’ के आरोपों के कारण भी ‘हमारी छवि खराब’ हुई है।
युवा चेहरों की कमी भी आगे बढ़ने में है बाधा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने इन दावों को खारिज किया कि पार्टी तृणमूल के खिलाफ लड़ने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि धमकियों और डराए जाने के बावजूद हमारी पार्टी के कार्यकर्ता तृणमूल कांग्रेस के भ्रष्ट शासन के खिलाफ लड़ रहे हैं। आने वाले दिनों में हम सभी बाधाओं को पार करके जीत हासिल करेंगे। तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोषण ने भाजपा की इन टिप्पणियों को हल्के में लेते हुए कहा कि राज्य में उसकी ताकत अब खत्म हो गई है। राज्य में जल्दी ही भाजपा की एक्सपायरी डेट पूरी होने वाली है। राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि युवा चेहरों की कमी के कारण राज्य में भाजपा आगे नहीं बढ़ पा रही है।