Move to Jagran APP

West Bengal: पराली पर प्रतिबंध के बाद विकल्पों पर बंगाल का फोकस, नवंबर के बाद यहां हो सकती है समस्या

पराली जलाने से बढ़ने वाले वायु प्रदूषण के खतरों को भांपते हुए राज्य की ममता सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 03:16 PM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 03:16 PM (IST)
West Bengal: पराली पर प्रतिबंध के बाद विकल्पों पर बंगाल का फोकस, नवंबर के बाद यहां हो सकती है समस्या
West Bengal: पराली पर प्रतिबंध के बाद विकल्पों पर बंगाल का फोकस, नवंबर के बाद यहां हो सकती है समस्या

कोलकाता, जागरण संवाददाता। पराली जलाने से बढ़ने वाले वायु प्रदूषण के खतरों को भांपते हुए राज्य की ममता सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। साथ ही कृषकों के बीच गहन जागरूकता को उन्नत कृषि उपकरणों के इस्तेमाल पर राज्य सरकार खासा जोर दे रही है, ताकि राज्य के कृषक पराली न जलाए। लेकिन अधिकारियों की मानें तो वास्तविकता दावों के विपरीत है।

loksabha election banner

मुख्यमंत्री कार्यालय में कृषि व संबद्ध क्षेत्र के प्रमुख प्रदीप मजुमदार ने बताया कि यांत्रिक हार्वेस्टर की त्वरित तकनीक का सहारा लेने वाले कृषक पराली जलाने के क्रम में फसल के परिशिष्ट को छोड़ देते हैं। वहीं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कल्याण रूद्रा ने कहा कि यहां पराली जलाने का प्रचलन ऐतिहासिक नहीं है। हालांकि तकनीकी विकास के कारण खरीफ और रबी की फसल सिकुड़ने लगी है।

ऐसे में कृषक अति शीघ्र खेत को सपाट करने को यांत्रिक हार्वेस्टर की त्वरित तकनीक का सहारा लेते हैं और इस प्रक्रिया में फसल की जड़ का एक बड़ा हिस्सा अवशेष के रूप में शेष बच जाता है। राज्य कृषि व संबद्ध क्षेत्र के प्रमुख प्रदीप मजुमदार ने कहा कि उत्तरी राज्यों की तुलना में पश्चिम बंगाल में स्थिति उतनी गंभीर नहीं है। खेतों में अभी हर जगह फसलें हैं।

हालांकि, नवंबर के बाद यहां समस्या हो सकती है, क्योंकि इस दौरान यहां के कृषक रबी की फसल को खेत को तैयार करते हैं। इधर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख ने बताया कि फिलहाल राज्य में यह कोई बढ़ी समस्या नहीं है, लेकिन पिछले साल इस समयावधि में राज्य के पूर्व बर्दमान, पश्चिम बर्दमान, हुगली, मुर्शिदाबाद और नदिया जैसे कुछ जिलों से पराली जलाने की सूचना मिली थी। जिसके बाद दिल्ली में व्याप्त खतरे को ध्यान में रखते हुए हमने इस पर प्रतिबंध की घोषणा की है।

उन्होंने कहा कि राज्य पीसीबी के पास इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि राज्य में पराली जलाने से किस हद तक प्रदूषण में बढ़ोतरी हुई है। क्योंकि कोलकाता में किए गए अध्ययन के दौरान इस समस्या को रिकॉर्ड ही नहीं किया गया।

हालांकि, बीते 8 फरवरी को राज्य के पर्यावरण विभाग ने अधिसूचना जारी कर इसे तत्काल प्रभाव से पूरे राज्य में लागू कर दिया। साथ ही कहा गया कि खुले खेतों में फसलों की कटाई के बाद पराली जलाने से व्यापक वायु प्रदूषण की संभावनों को भांपते हुए इस पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है और अधिकारियों ने कृषकों को फसलों की कटाई को विकल्प के रूप में बेलर्स प्रणाली के इस्तेमाल का सुझाव दिया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.