West Bengal Assembly Election 2021: सूर्यकांत मिश्रा बोले, तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को बंगाल में बढ़ाने में मदद की; सरकार बनाने के लिए मिला लेंगे हाथ
West Bengal Assembly Election 2021 माकपा की बंगाल इकाई के सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने रविवार को कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस बहुमत नहीं मिलने पर एक दूसरे से हाथ मिला सकते हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal Assembly Election 2021: माकपा की बंगाल इकाई के सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने रविवार को कहा कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को राज्य में बढ़ाने में मदद की है, जिसके साथ बंगाल में उसकी कड़ी टक्कर है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा देश के लिए खतरा है। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में तृणमूल कांग्रेस के साथ गठजोड़ की संभावना के सवाल पर सीधा जवाब देने से बचते हुए माकपा नेता ने कहा, ‘किसी निश्चित स्थिति में ही कोई निश्चित जवाब दिया जा सकता है।’ पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के इंडियन सेकुलर फ्रंट (आइएसएफ) के साथ गठबंधन से माकपा की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचने संबंधी आलोचनाओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, ‘जो खुद सांप्रदायिक राजनीति करते हैं, वे वाम-आइएसएफ-कांग्रेस गठबंधन से डरे हुए हैं।’ भाजपा और तृणमूल कांग्रेस पर चुनावों को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाते हुए मिश्रा ने कहा कि विधानसभा में बहुमत नहीं मिलने पर दोनों दल एक दूसरे से हाथ मिला सकते हैं।
भाजपा हमारी सबसे बड़ी शत्रु
उन्होंने कहा, ‘भाजपा हमारी सबसे बड़ी शत्रु है। भाजपा न केवल सबसे बड़ी दुश्मन है बल्कि भारत के और बंगाल के विचार के लिए खतरा भी है। उसे रोकना होगा और केवल वाम दल तथा धर्मनिरपेक्ष ताकतें ऐसा कर सकती हैं। अन्य किसी बूर्जुआ राजनीतिक दल की तुलना भाजपा से नहीं की जा सकती, तृणमूल कांग्रेस की भी नहीं।’
तृणमूल कांग्रेस और भाजपा सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लेंगे
मिश्रा ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार और उसकी नीतियों की वजह से भी भाजपा तथा सांप्रदायिक राजनीति को बंगाल में पैर जमाने का मौका मिला है। चुनाव परिणाम के बाद जरूरत पड़ने पर कांग्रेस और वाम मोर्चा द्वारा तृणमूल कांग्रेस की मदद से इनकार करने से क्या भाजपा को फायदा होगा, इस सवाल के जवाब में मिश्रा ने कहा, ‘हमें ऐसे हालात में उल्टी ही आशंका है कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा सरकार बनाने के लिए हाथ मिला लेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पुराने गठबंधन सहयोगी हैं। भाजपा और आरएसएस को वाम मोर्चा या कांग्रेस के शासन में आधार बनाने का मौका नहीं मिला लेकिन ममता बनर्जी के शासन में संघ ने पकड़ बनाई है। हमने कई मौकों पर देखा है कि तृणमूल कांग्रेस ने संसद में वाकआउट करके भाजपा की मदद की है।’ मिश्रा ने निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा, ‘निर्वाचन आयोग की भूमिका सवालों से परे नहीं है। आयोग धीरे-धीरे अपनी विश्वसनीयता खो रहा है क्योंकि वह सभी दलों को समान अवसर नहीं दे रहा।