West Bengal : चक्रवात एम्फन के बाद अब सुंदरवन पर गहराता प्लास्टिक कचरा का खतरा
जलीय जीवों और पौधों का ले रहा जान पर्यावरण पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ने की आशंका पर्यावरण विशेषज्ञ एम्फन के बाद सुंदरवन में फैले पॉलीथिन की थैलियों पानी के खाली पाउच सूखी राशन के खाली प्लास्टिक किट से वहां जलीय जीवों जलीय कृषि को भारी हानि होने की आशंका जता रहे हैं।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। जून 2020 में आए चक्रवात एम्फन की तबाही से तबाह सुंदरवन इलाके के लोगों की मदद के लिए प्लास्टिक के किटों में बंद हजारों टन सूखा राशन और अन्य राहत सामग्री की आपूर्ति की गई। अब उन राहत सामाग्रियों के प्लास्टिक कचरे से दुनिया के एकलौता मैनग्रोव जंगल सुंदरवन में एक और निस्तब्ध तबाही की सुगबुगाहट होने लगी है। पर्यावरण विशेषज्ञ एम्फन के बाद सुंदरवन में फैले पॉलीथिन की थैलियों, पानी के खाली पाउच, सूखी राशन के खाली प्लास्टिक किट से वहां जलीय जीवों और जलीय कृषि को भारी हानि होने की आशंका जता रहे हैं।
हाल में किए गए एक प्रारंभिक सर्वे में चक्रवात एम्फन के बाद सुंदरवन में लगभग 26 मीट्रिक टन प्लास्टिक पहले ही प्रवेश के का खुलाशा हुआ है। सुंदरवन में प्रतिबंध होने के बावजूद पीड़ित परिवारों के लिए सूखा राशन किटों की आपूर्ति प्लास्टिक थैलियों में की जा रही है, जिनका वजन लगभग 9 किलोग्राम है। हर रोज ट्रकों में लाद कर लाए जा रहे प्लास्टिक वहां के प्राकृतिक वनस्पति को उच्च जोखिम में डाल रहा है। सिर्फ राहत सामाग्री के प्लास्टिक कचरा ही नहीं, बल्कि तटबंधों की सुरक्षा के लिए मिट्टी और पत्थरों से भरे सिंथेटिक बैग का इस्तेमाल करने, पर्यटकों और प्लास्टिक के बेजा इस्तेमाल और निपटान के कारणों से सुंदरवन में माइक्रोप्लास्टिक बहुत तेजी से बढ़ रहा है। विशेषक्षों के अनुसार दो से तीन साल के भीतर तटबंधों की रक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सिंथेटिक थैलों का क्षरण होकर माइक्रो प्लास्टिक का निर्माण हो रहा है।
मछली की आंत में पाए गए प्लास्टिक
सुंदरवन में प्लास्टिक कचरा इस कदर बढ़ रहा है कि मछलियों के आंत में भी प्लास्टिक पाए जा रहे हैं। कलकत्ता विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. पुनरबसु चौधुरी के शोध इसकी खालासा हुआ है। उनके शोध में छह प्रजाति के मछलियों के पेट में माइक्रो प्लास्टिक भी पाया है। इसके अलावा मछलियों के पेट में गनी बैग के रेसे पाए गए हैं। क्षेत्र में प्लास्टिक कचरा बढ़ने के कारण वैज्ञानिक दूसरे जलीय प्राणियों के पेट में माइक्रो प्लास्टिक पहुंचने और उन्हें हानि पहुंचाने की शंका जता रहे हैं।
मैग्रोव जंगल और समुद्री जल के प्रदूषित होने का खतरा
सुंदरवन इलाकों में प्लास्टिक कचरा बढ़ने से वैज्ञानिक इलाके के सदाबहार मैग्रोव जंगल पर खतरा बढ़ने के साथ ही समुद्री जल में प्रदूषण बढ़ने का आशंका जता रहे हैं। इससे मैग्रोव पेड़ की श्वसन भी प्रभावित हो सकती है, क्योंकि ये सूक्ष्म प्लास्टिक की चपेट में हैं। इससे समुद्री जल और थल पर आक्सीजन की मात्रा कम होने का खतरा बढ़ेगा और इसका पौधों और जलीय जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। मोलस्क जैसे अन्य जीवों में सूक्ष्म प्लास्टिक से विषाक्तता का उच्च जोखिम होता है। थर्माकोल प्लेटों से पॉलिमर जलीय जीवन के लिए एक और खतरा है।