Violence in Bengal: फैसले से नाखुश ममता सरकार जाएगी सुप्रीम कोर्ट, याचिकाकर्ता-अधिवक्ता ने दाखिल की कैविएट
बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की सीबीआइ जांच के कलकत्ता हाई कोर्ट फैसले से ममता सरकार नाखुश है और सत्तारूढ़ दल ने स्पष्ट संकेत दिया है कि ममता सरकार ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाताः कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) को सौंपे जाने के बाद राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दायर की गई है। एक याचिकाकर्ता-अधिवक्ता अनिंद्य सुंदर दास ने यह कैविएट दाखिल किया है। इसमें उन्होंने अदालत से अपील की है कि हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इस मामले में एकतरफा सुनवाई नहीं हो। दरअसल, याचिकाकर्ता द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कैविएट दायर किया जाता है कि बिना उसका पक्ष सुने उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित नहीं किया जाए। याचिकाकर्ता अनिंद्य सुंदर दास ने कहा, 'उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दायर की है कि अगर बंगाल सरकार उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करती है तो मुझे सुना जाना चाहिए।'
इससे पहले गुरुवार को बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए हाई कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले में दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को हिंसा पीड़ितों के लिए मुआवजे की तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लगाए गए पूर्वाग्रह के आरोपों को भी खारिज कर दिया।
हाई कोर्ट के आदेश के तहत अब सीबीआइ दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच करेगी। सीबीआइ जांच की निगरानी के लिए एक अलग डिवीजन बेंच का भी गठन किया गया। इसी तरह, चुनाव के बाद हुए अपेक्षाकृत कम घातक अपराधों की जांच के लिए अदालत ने एसआइटी का भी गठन किया है। कोलकाता के पुलिस आयुक्त सौमेन मित्रा, वरिष्ठ आइपीएस सुमन बाला साहू और रणवीर कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी एसआइटी के सदस्य होंगे। एसआइटी द्वारा जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा की जाएगी। सीबीआइ और एसआइटी दोनों को छह हफ्ते बाद अपनी शुरूआती रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी।
तृणमूल प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने भी अदालत के फैसले के बाद संवाददाता सम्मेलन में असंतोष जताया। एक ट्वीट में उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह कानूनी विकल्पों की तलाश में है। हालांकि, राज्य सरकार ने शुरू से ही बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा से इन्कार कर रही है, लेकिन कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की विशेष समिति की रिपोर्ट व सिफारिशों को मंजूरी देते हुए सीबीआइ तथा विशेष जांच टीम(एसआइटी)गठित कर जांच का निर्देश दिया है और पूरे मामले पर कोर्ट की नजर रहेगी। उच्च न्यायालय ने राज्य को पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा देने का भी निर्देश दिया है।
सीबीआइ जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट पहुंचने वाले याचिककर्ताओं ने गुरुवार को ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया। कैविएट दायर होने पर कोई भी फैसला के लिए दोनों पक्षों से बातें कोर्ट सुनने के बाद ही कोई फैसला सुनाता है।