कोरोना संक्रमित किसान परिवार के साथ गांव वालों का सौतेला व्यवहार, उप प्रधान ने सहायता का हाथ बढ़ाया
आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में कोरोना संक्रमित रोगियों तथा कोरोना योद्धाओं के प्रति हमलोगों की सहानभूति होनी चाहिए ना की उनके साथ सौतेला व्यवहार करना चाहिए।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। सरकार की ओर से बार- बार कहा जा रहा है कि कोरोना से लड़ना है, कोरोना संक्रमित रोगियों से नहीं। लेकिन सरकार की इन बातों को दरकिनार करते हुए कुछ लोग कोरोना पीड़ित रोगी तथा उनके परिवारवालों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। ऐसी ही एक घटना बंगाल के हुगली जिले के सिंगुर इलाके में देखने को मिली है।
सिंगुर दो नंबर ग्राम पंचायत के अंतर्गत राथलिया गांव के रहने वाले एक किसान पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हुए थे। जिन्हें श्रीरामपुर के श्रमजीवी कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कोरना को मात देकर वे अपने घर लौट आए थे। आरोप है कि इसके बाद भी गांव वाले उन्हें तथा उनके परिवार वालों को घर से निकलने पर बाधा पहुंचाते थे। खेती भी करने पर रोक लगा दी थी। यहां तक की उन्हें मारने- पीटने की धमकी भी दी। सोमवार को ग्राम पंचायत के उप प्रधान कार्तिक मांझी ने पीड़ित परिवार के आगे सहयोग का हाथ बढ़ाया। खुद खेत में खड़े होकर पीड़ित परिवारवालों से जमीन में धान का बीज रोपाया।
उप प्रधान कार्तिक मांझी का कहना कि आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। ऐसे में कोरोना संक्रमित रोगियों तथा कोरोना योद्धाओं के प्रति हमलोगों की सहानभूति होनी चाहिए, ना की उनके साथ सौतेला व्यवहार करना चाहिए। कोरोना रोगी भी हमारे ही बीच के लोग है। कोरोना से लड़ना है रोगियों से नहीं। पीड़ित परिवार खेती कर पाए इसके लिए हमने यह कदम उठाया है।
कोरोना संक्रमित हुए किसान के बेटे अभिजीत पोले का कहना है कि कुछ दिन पहलें मेरे पिता कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे। जिन्हें हमलोगों ने श्रीरामपुर श्रमजीवी अस्पताल में भर्ती कराया था। वे स्वस्थ होकर घर भी लौट आये थे। लेकिन इसके बाद भी गांव वाले उन्हें तथा हमारे परिवारवालों को बाहर निकलने पर बाधा पहुंचा रहे थे। इतना ही नही घर तोड़ने की धमकी के साथ खेती करने पर भी रोक लगा दी थी। इसके बाद हमलोग स्थानीय ग्राम पंचायत में जाकर समस्या का समाधान करने की गुहार लगाई। सोमवार को सिंगुर दो नंबर ग्राम पंचायत के उप प्रधान कार्तिक मांझी की उपस्थिति में हमलोगों ने अपने खेत में जाकर धान का बीज रोपा।