West Bengal: यौनकर्मियों के उत्थान को आगे आया उनके बीच पला-बढ़ा एक बेटा
West Bengal रेड लाइट एरिया सोनागाछी में रहने वाले 30 वर्षीय रतन दलुई को यौनकर्मी की संतान होने पर गर्व है। वह फक्र के साथ कहते हैं कि उनकी मां देह व्यापार के पेशे से जुड़ी थीं। रतन यौनकर्मियों के जीवन की बेहतरी के लिए शोध कार्य कर रहे हैं।
इंद्रजीत सिंह, कोलकाता। कोलकाता स्थित एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी में रहने वाले 30 वर्षीय रतन दलुई को यौनकर्मी की संतान होने पर गर्व है। वह फक्र के साथ कहते हैं कि उनकी मां देह व्यापार के पेशे से जुड़ी थीं। एक तरफ जहां रतन यौनकर्मियों के जीवन की बेहतरी के लिए शोध कार्य कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ विभिन्न रेड लाइट एरिया में ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआइवी) व मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। देह व्यापार करने वाली किसी महिला की संतान का बेझिझक मीडिया के सामने आने का यह विरला मामला है। रतन की परवरिश रेड लाइट एरिया सोनागाछी में ही हुई है। उनकी मां बीरभूम से सोनागाछी में देहव्यापार के पेशे में आई थीं।
उन्होंने इसी पेशे से होने वाली आय से किसी तरह रतन को पढ़ाया-लिखाया। रतन का कहना है कि उनका स्कूली जीवन दुश्वारियों से भरा रहा। समाज की जिल्लतों का सामना करना पड़ा। वह जब स्नातक के अंतिम वर्ष में थे, तभी उनका मां का देहांत हो गया। उसके बाद वह सोनागाछी में यौनकर्मियों के संगठन दुर्बार महिला समन्वय समिति से जुड़ गए तथा संगठन के विभिन्न सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेने लगे। शुरुआत उन्होंने संगठन की एक शिक्षा शाखा 'आमरा पदातिक' से की, जिससे यौनकर्मियों के बच्चे जुड़े हैं। यहां उन्होंने बच्चों में शिक्षा की अलख जगाई। इसी दौरान उन्होंने सामाजिक शास्त्र (सोशलाजी) में मास्टर डिग्री प्राप्त की। वह अभी दुर्बार महिला समन्वय समिति की ओर से यौनकर्मियों के जीवन की बेहतरी के लिए शोध कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही रतन समिति के प्रोजेक्ट काउंसलर के तहत विभिन्न रेड लाइट एरिया में एचआइवी तथा मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैला रहे हैं। यौनकर्मियों के बच्चों को शिक्षा को लेकर प्रेरित कर रहे हैं।
देह व्यापार पेशे के प्रति लोगों की धारणा बदलना भी रतन के जीवन का उद्देश्य
रतन का कहना है कि वह आज अपनी मां के अंतहीन आत्म बलिदान के कारण इस मुकाम पर पहुंचे हैं। रतन का मकसद यह भी है कि समाज में देह व्यापार को लेकर जो गलत धारणा बनी हुई है, उसे बदला जाए। उन्होंने देह व्यापार पेशे को कानूनी मान्यता देने की भी बात की। उन्होंने कहा कि कामवासना मनुष्य की बुनियादी जरूरत है और यौनकर्मी इसे पूरा करती हैं। तो फिर क्यों नहीं इसे सेवा क्षेत्र की श्रेणी में रखा जाए। रतन को गीत-संगीत का भी शौक है। वह अच्छी गायकी भी करते हैं।