515 करोड़ के बैंक फ्रॉड में दो निदेशक गिरफ्तार
इससे पहले भी वर्ष 2015 में शिवाजी पांजा के खिलाफ 181 करोड़ रुपये ऋण लेकर धोखाधड़ी का आरोप सामने आया था। धोखाधड़ी फर्जी दस्तावेजों जरिए की गई थी।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। फर्जी दस्तावेजों के जरिए केनरा समेत 10 बैंकों से 515.15 करोड़ रुपये का फ्रॉड करने वाली कंप्यूटर निर्माता कंपनी आरपी इंफोसिस्टम के दो निदेशकों को सीबीआइ ने गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। उनके नाम शिवाजी पांजा और कौस्तव राय है।
साल्टलेक के सीजीओ कंप्लेक्स स्थित सीबीआइ के पूर्वी क्षेत्रिय दफ्तर में दोनों से करीब चार घंटे तक पूछताछ के बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया है। इसकी पुष्टि सीबीआइ के प्रवक्ता आर के गौर ने की है। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि 10 बैंकों से ऋण लेने के मामले में मैराथन पूछताछ के बाद दोनों के बयानों में विसंगतियां मिलीं, जिसके बाद इन्हें गिरफ्तार किया गया है।
इसके पहले भी दोनों को आमने-सामने बैठाकर दो-दो बार पूछताछ की गई थी। गौर ने बताया कि केनरा बैंक के अलावा 9 अन्य सहयोगी बैंकों जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ बिकानेर व जयपुर, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला और फेडरल बैंक से फर्जी दस्तावेजों के जरिए ऋण लिया था। ज्ञात हो कि गत 26 फरवरी को केनरा बैंक के कोलकाता क्षेत्रिय उप-महाप्रबंधक डी वी प्रसाद राव ने सीबीआइ के पास आरपी इंफोसिस्टम लिमिटेड के चारों निदेशकों शिवाजी पांजा व उनके सहयोगी कौस्तव राय, विनय वाफ्ना व संस्था के वाइस प्रेसिडेंट (वित्त) देवनाथ पाल के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी।
जमा कराया था कई संपत्तियों का फर्जी दस्तावेज
इन लोगों ने हावड़ा के घुसुड़ी व हिमाचल प्रदेश की दो जगहों में चिराग कंप्यूटर तैयार करने के लिए बैंकों से ऋण लिया था। यह ऋण वर्ष 2010 से 2012 के बीच लिया गया था। उसके बाद ही सीबीआइ ने इन चारों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। ऋण लेने के लिए कैखाली, उत्तरपाड़ा, खारदा, गडि़या, बारुईपुर व कांथी समेत 19 जगहों में कंपनी की संपत्ति जमा-पूंजी के तौैर पर रखी थी जो बाद में जांच में फर्जी निकली।
पहले भी सैकडों करोड़ की कर चुके हैं धोखाधड़ी
इससे पहले भी वर्ष 2015 में शिवाजी पांजा के खिलाफ 181 करोड़ रुपये ऋण लेकर धोखाधड़ी का आरोप सामने आया था। उक्त धोखाधड़ी भी फर्जी दस्तावेजों के जरिए ही की गई थी।