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Begal Politics: त्रिपुरा व गोवा के बाद तीन और राज्यों में अपने सांगठनिक विस्तार की जुगत में तृणमूल

पैठ बढ़ाने को उत्तर प्रदेश असम व मणिपुर से अपना प्रतिनिधि राज्यसभा भेज सकती है ममता बनर्जी की पार्टी।बंगाल की 16 राज्यसभा सीटों में से इस समय 12 पर तृणमूल का कब्जा है। इसी महीने इसमें एक का इजाफा हो सकता है।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 14 Nov 2021 12:59 PM (IST)Updated: Sun, 14 Nov 2021 12:59 PM (IST)
Begal Politics: त्रिपुरा व गोवा के बाद तीन और राज्यों में अपने सांगठनिक विस्तार की जुगत में तृणमूल
त्रिपुरा व गोवा के बाद तीन और राज्यों में अपने सांगठनिक विस्तार की जुगत में तृणमूल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस त्रिपुरा व गोवा के बाद तीन और राज्यों में अपने सांगठनिक विस्तार की तैयारी कर रही है। इस बाबत उन राज्यों से तृणमूल में शामिल हुए विभिन्न दलों के नेताओं को राज्यसभा भी भेजा जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो अर्पिता घोष की तरह बंगाल से तृणमूल के कई नेताओं को अपनी राज्यसभा सीट छोड़नी पड़ सकती है। जिन तीन राज्यों पर तृणमूल की खास नजर है, उनमें उत्तर प्रदेश, असम व मणिपुर शामिल हैं।

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गौरतलब है कि इन तीनों राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया-'हम इन तीन राज्यों से परिचित चेहरों को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। इससे उन राज्यों में पार्टी को पैठ बढ़ाने में मदद मिलेगी।'

गौरतलब है कि बंगाल की 16 राज्यसभा सीटों में से इस समय 12 पर तृणमूल का कब्जा है। इसी महीने इसमें एक का इजाफा हो सकता है। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि तृणमूल को अगर अन्य राज्यों से किसी को राज्यसभा भेजना है तो उसे इन्हीं 13 सीटों में से कुछ को रिक्त करवाना पड़ेगा। ऐसे में बंगाल से तृणमूल के कुछ राज्यसभा सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ सकता है।

तृणमूल पहले ही गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो को राज्यसभा के लिए मनोनीत कर चुकी है। फलेरियो आगामी मंगलवार को नामांकन जमा कर सकते हैं। फलेरियो के लिए अर्पिता घोष को राज्यसभा की यह सीट छोड़नी पड़ी थी।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे फलेरियो ने गत सितंबर में कोलकाता आकर तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के हाथों से तृणमूल का झंडा थामा था। तृणमूल ने फलेरियो को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है।

गौरतलब है कि गोवा में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव है। तृणमूल वहां चुनाव लड़ने का पहले ही एलान कर चुकी है। ऐसे में सियासी विश्लेषक इसे गोवा में अपनी जड़ें मजबूत करने की तृणमूल की रणनीति करार दे रही है।

तृणमूल बंगाल विधानसभा चुनाव में तीसरी बार शानदार जीत दर्ज करने के बाद से राष्ट्रीय स्तर पर अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। 


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