Move to Jagran APP

West Bengal : तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं, अब सारधा कांड में सीबीआई ने की कुणाल घोष से पूछताछ

West Bengal सारधा समूह की इकाई सारधा मीडिया के सीईओ रहे घोष को चिटफंड घोटाला मामले में कथित संलिप्तता के लिए 2013 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 05:43 PM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 05:43 PM (IST)
West Bengal : तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं, अब सारधा कांड में सीबीआई ने की कुणाल घोष से पूछताछ
West Bengal : तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं, अब सारधा कांड में सीबीआई ने की कुणाल घोष से पूछताछ

राज्य ब्यूरो कोलकाता : विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं। कुछ दिनों पहले नारद स्टिंग ऑपरेशन कांड में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की ओर से 5 लोगों को नोटिस देने के बाद अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सारधा चिटफंड घोटाला मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष से कल पूछताछ की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

loksabha election banner

लगभग एक महीने पहले घोष को तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया था

पार्टी ने लगभग एक महीने पहले घोष को तृणमूल कांग्रेस का राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किया था। अधिकारियों ने बताया कि सारधा समूह की इकाई सारधा मीडिया के सीईओ रहे घोष को चिटफंड घोटाला मामले में कथित संलिप्तता के लिए 2013 में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। तृणमूल कांग्रेस ने गिरफ्तारी से पहले उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कथित रूप से निलंबित कर दिया था लेकिन बतौर नेता उनके संबंध में पार्टी की ओर से कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया था।

सारधा घोटाले में कुणाल घोष ने ही ममता को कभी सबसे बड़ा लाभार्थी बताया था

यह वहीं कुणाल घोष हैं जिन्होंने 2549 करोड़ रुपये के इस चिटफंड घोटाले में ममता बनर्जी को सबसे बड़ा लाभार्थी बताया था। 23 नवंबर, 2013 को बिधाननगर पुलिस ने कुणाल घोष को इस मामले में गिरफ्तार किया था। राज्यसभा सांसद रहे कुणाल घोष ने राज्य की 9 जेलों में 34 महीने का समय गुजारा। जेल जाने के बाद ममता ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 

2021 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहती ममता

पार्टी से निकाले जाने के 6 साल बाद पिछले साल जून में कुणाल घोष ने ममता बनर्जी से उनके निवास पर मुलाकात की थी। इसके बाद तृणमूल ने घोष का 7 साल का निलंबन खत्म कर उन्हें राष्ट्रीय पार्टी प्रवक्ता बना दिया। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से मिलने वाली संभावित कड़ी टक्कर के मद्देनजर ममता ने यह कदम उठाया है। ममता 2021 के विधानसभा चुनाव में कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहती हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.