West Bengal Municipal Elections 2020: पीके की रणनीति, छवि सुधारने को शांतिपूर्ण निकाय चुनाव चाहती है टीएमसी
West Bengal Municipal Elections 2020. पीके जानते हैं कि निकाय चुनाव में भी हिंसा हुई तो विरोधी दलों को बड़ा मुद्दा मिल जाएगा इसलिए उन्होंने तृणमूल आलाकमान को सतर्क कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal Municipal Elections 2020. 2018 के पंचायत चुनाव व पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के समय बंगाल में हुई भारी हिंसा से बिगड़ी अपनी छवि को सुधारने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) शांतिपूर्ण तरीके से नगर निकाय चुनाव चाहती है। इसे तृणमूल के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) की रणनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि सूबे में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। उससे पहले इसे तृणमूल के लिए 'लिटमस टेस्ट' बताया जा रहा है। पीके जानते हैं कि निकाय चुनाव में भी हिंसा हुई तो विरोधी दलों को बड़ा मुद्दा मिल जाएगा, इसलिए उन्होंने तृणमूल आलाकमान को सतर्क कर दिया है। तृणमूल भी चाहती है कि निकाय चुनाव शांतिपूर्ण हो, ताकि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति पर फिर से सवाल न उठे। लोकसभा चुनाव के समय जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के बड़े नेता प्रचार को बंगाल आए थे, तब उन्होंने भी पंचायत चुनाव में हुई हिंसा का हवाला देते हुए बंगाल की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया था, जिसका उन्होंने बंगाल में जबरदस्त फायदा भी मिला था।
तृणमूल की ओर से अपने सभी जिला नेतृत्वों को शांतिपूर्ण चुनाव के बाबत जरूरी निर्देश दिए जा चुके हैं। उन्हें कह दिया गया है कि पुलिस निष्पक्ष तरीके से काम करेगी। उस पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जा सकेगा।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम निकायों में किए गए अपने विकास कार्यों पर भरोसा रखकर ही चुनाव में उतरेंगे। निकाय चुनाव में भाजपा के पास कोई मसला नहीं है। वह धर्म की राजनीति के आधार पर ही वोट मांगेगी। दूसरी तरफ, राज्य में कांग्रेस व वामदल पहले ही हाशिए पर हैं।
गौरतलब है कि अप्रैल के मध्य में कोलकाता नगर निगम समेत राज्य के 100 से भी अधिक नगर निकायों के चुनाव के आसार हैं। अप्रैल के दूसरे या तीसरे सप्ताह निकाय चुनाव की संभावना है। राजभवन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राज्यपाल बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं।