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देश में एक मजबूत विपक्ष का विकल्प खड़ा करने की तैयारी में तृणमूल कांग्रेस

कांग्रेस को छोड़कर दूसरी पार्टियों को जोड़ रही है तृणमूल सदन में गूंजेगा महंगाई और किसान बिल का मुद्दा । समाजवादी पार्टी आम आदमी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ये तृणमूल के साथ काम करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 17 Jul 2021 11:56 AM (IST)Updated: Sat, 17 Jul 2021 11:56 AM (IST)
देश में एक मजबूत विपक्ष का विकल्प खड़ा करने की तैयारी में तृणमूल कांग्रेस
तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। लोकसभा में कांग्रेस के बाद सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) है। वहीं, हाल में संपन्न बंगाल विधानसभा चुनाव में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद अब तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है। इसके तहत दूसरी विपक्षी पार्टियों को अपने साथ जोड़ने में लगी है। इनकी रणनीति है कि देश में एक मजबूत विपक्ष का विकल्प खड़ा किया जाये जो कांग्रेस के बगैर होगा।

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इसी के मद्देनजर तृणमूल अब खुद को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। बंगाल चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस का उत्साह बढ़ा है। बंगाल में ममता बनर्जी ने भाजपा को करारी शिकस्त दी है। अब 19 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में तृणमूल वैसी पार्टियों को जोड़ने में लगी है जो एनडीए का हिस्सा नहीं है। तृणमूल वैसी पार्टियों को एक कर रही है जो कांग्रेस के साथ नहीं है। जैसे आम आदमी पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, ये तृणमूल के साथ काम करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।

तृणमूल समाजवादी पार्टी को भी अपने साथ लाने की कोशिश कर रही है, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि यूपी चुनाव में कांग्रेस की नीतियों के साथ अखिलेश यादव असहमत नजर आ रहे हैं। तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि विधानसभा चुनावों में बहुत कुछ बदल कर रख दिया है। हमें सदन में एक तय एजेंडा के साथ जाना होगा। कांग्रेस के साथ एक बड़ी समस्या यह भी है कि उनके पास कोई ऐसा नेता नहीं है जो इन पार्टियों तक पहुंच कर उन्हें जोड़े रखने की कोशिश करे। किसी को तो एक मंच पर आकर इन पार्टियों को इकट्ठा करना होगा।

ममता बनर्जी तीसरी बार मुख्यमंत्री की कमान संभालने के बाद दिल्ली का दौरा भी इसी योजना के तहत कर अगले कुछ दिनों में करने वाली हैं। सूत्रों के अनुसार, वह पांच दिनों तक दिल्ली में रहेंगी और संसद भी आखिरी के दो दिन आ सकती हैं। ममता बनर्जी सात बार बंगाल से सांसद रहीं हैं। उन्होंने साल 2011 में राज्य का रुख कर लिया। तृणमूल और कांग्रेस सदन में अलग-अलग मुद्दों के साथ जा रही है। कांग्रेस राफेल मुद्दे को सदन मे उठाने की योजना बना रही है तो तृणमूल महंगाई और किसानों बिल को लेकर आगे बढ़ेगी।


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