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Mission 2024: पीके के बनाए रास्ते पर आगे बढ़ रही है तृणमूल कांग्रेस, लक्ष्य 2024

Mission 2024 प्रशांत किशोर दिल्ली की राजनीति में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को प्रासंगिक बनाने के साथ उन्हें मुख्य विपक्षी नेता बनाने की कवायद में भी जुटे हुए हैं। प्रशांत किशोर का तर्क है कि उनके कार्य का दायरा बहुत बड़ा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 08:36 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 08:36 PM (IST)
Mission 2024: पीके के बनाए रास्ते पर आगे बढ़ रही है तृणमूल कांग्रेस, लक्ष्य 2024
पीके के बनाए रास्ते पर आगे बढ़ रही है तृणमूल कांग्रेस। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बनाए रास्ते पर आगे बढ़ रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तृणमूल के लिए पीके ही रणनीति बना रहे हैं। प्रशांत किशोर दिल्ली की राजनीति में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी को प्रासंगिक बनाने के साथ उन्हें मुख्य विपक्षी नेता बनाने की कवायद में भी जुटे हुए हैं। प्रशांत किशोर का तर्क है कि उनके कार्य का दायरा बहुत बड़ा है। जिस तरह से उनका संगठन देश भर में काम करता है, उससे राष्ट्रीय राजनीति में टीएमसी का विस्तार करना काफी आसान हो जाएगा। इन्हीं विचारों के साथ तृणमूल 2024 की रणनीति प्रशांत किशोर के दिखाए रास्ते पर बनाना चाहती है। त्रिपुरा के बाद गोवा, मेघालय, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में टीएमसी संगठन बनाना चाहती है। ऐसे में तृणमूल राष्ट्रीय राजनीति में खुद को प्रासंगिक बनाए रखना चाहती है। प्रशांत किशोर की सलाह पर ममता-अभिषेक ऐसा कर रहे हैं।

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ये है टीएमसी के विस्तार की रणनीति

अभिषेक के अखिल भारतीय महासचिव बनने के बाद उन्होंने अन्य राज्यों में पार्टी के सांगठनिक विस्तार के लिए जो प्रस्ताव रखा वह प्रशांत किशोर की ही देन है। तृणमूल ने अपनी टीम के साथ सर्वे कर त्रिपुरा में कदम रखा है। गोवा में पैर रखने से पहले प्रशांत किशोर और उनकी टीम लंबे समय से काम कर रही है। फिर टीएमसी ने संगठनात्मक रूप से विस्तार करना शुरू किया है। सियासी जानकारों की राय है कि राष्ट्रीय राजनीति में एक नया समीकरण बना सकता है। यह स्पष्ट है कि भारतीय राजनीति में कांग्रेस पर हावी होने के लिए सबसे पहले प्रशांत किशोर ने अपनी सोच और विश्लेषणात्मक शक्तियों का इस्तेमाल किया। उन्होंने समझाया कि कांग्रेस के लिए अकेले दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हटाना मुश्किल होगा। तृणमूल को कांग्रेस के साथ विपक्षी एकता बनानी होगी। टीएमसी के विस्तार के लिए ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी भी कई बार गोवा और कई अन्य राज्यों का दौरा कर चुके हैं।


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