आजादी के बाद पहली बार मनाया गया आदिवासी दिवस
वर्तमान समय में आदिवासी समुदाय अपने मेहनत और जज्बा से लिए जाने जाने हैं।
मिरिक, संवाद सूत्र। मिरिक महकमा के तराई स्थित पानिघाटा के गिरमिट लाइन में राज्य सरकार की पहल से पहली बार विश्व आदिवासी दिवस का भव्य आयोजन किया गया। आदिवासी समुदाय के लोक संस्कृति रीति रिवाज, परंपरा, भाषा- साहित्य, जातीय सामग्री के अलावा समुदाय के मूल्य और मान्यता के बारे में जागरूकता लाने के लिए ही कार्यक्रम का आयोजन करने की योजना बनाई गई थी।
गुरुवार को रमिट लाइन खेल मैदान में आयोजित कार्यक्रम में आदिवासी सांस्कृतिक वेलफेयर सोसाइटी के कलाकारों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया। साथ ही लेप्चा विकास व सांस्कृतिक बोर्ड के कलाकारों ने कार्यक्रम पेश दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि के तौर पर राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव, जिलाधिकारी जोयसी दासगुप्ता ,मिरिक महकमा शासक अश्विनी कुमार राय, मिरिक के बीडीओ अमिताभ भट्टचार्य समेत अन्य अतिथि मौजूद थे।
इस अवसर पर लोगों को संबोधित करते हुए पर्यटन मंत्री गौतम देव ने कहा कि राज्य सरकार ने आजादी के 70 वर्षो के बाद जिस तरह से विश्व आदिवासी दिवस मनाने का निर्णय लिया, वह स्वागत योग्य है।आदिवासी समुदाय के संपूर्ण विकास के राज्य सरकार पूरी तरह से तत्पर है। मंत्री ने सभी आदिवासी समुदाय को इस अवसर पर बधाई तथा शुभकामनाएं दी। आदिवासी सांस्कृतिक वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष ओस्कार तिरकी ने बताया कि सोसाइटी मे अपने बल पर पर 18 साल से संघर्ष किया है।
इसका परिणाम ही है कि राज्य सरकार की ओर से आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। समाज को अपने संस्कृति व परंपरा पर गर्व है। आदिवासी समुदाय काफी वर्षो से बुनियादी अभाव व समस्या से ग्रस्त है। वर्तमान समय में आदिवासी समुदाय अपने मेहनत और जज्बा से लिए जाने जाने हैं। संगठन को राज्य सरकार से उम्मीद है कि समाज के लोगों का हर संभव विकास करेगी। भविष्य में जरूर आदिवासी समुदाय के लोगों को न्याय मिलेगी। समुदाय के सामाजिक उन्नति के लिए आदिवासी विकास बोर्ड का गठन होना काफी जरूरी है।