तिनसुकिया हत्याकांड में तृणमूल ने की राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग
-पीड़ितों से मिला तृणमूल प्रतिनिधिमंडल, राष्ट्रपति से मांगा मुलाकात का समय -कहा, पूरा बंगाल पी
-पीड़ितों से मिला तृणमूल प्रतिनिधिमंडल, राष्ट्रपति से मांगा मुलाकात का समय
-कहा, पूरा बंगाल पीड़ितों के साथ, एक-एक लाख रुपये मुआवजा की घोषणा
जेएनएन, कोलकाता : तिनसुकिया हत्याकांड में तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है। सूत्रों के अनुसार पार्टी की ओर से इस बाबत राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर उनसे मुलाकात के लिए समय मांगा गया है। रविवार को राज्यसभा में तृणमूल काग्रेस के संसदीय दल के नेता डेरेक ओब्रायन के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल तिनसुकिया जिले के खेरोनीबारी गाव में उन शोक संतप्त परिवारों से मिला जिनके परिवार के सदस्यों की हत्या संदिग्ध उग्रवादियों ने कर दी है। प्रतिनिधिमंडल में डेरेक के अलावा लोकसभा सदस्य ममता बाला ठाकुर, राज्यसभा सदस्य नदीमुल हक और विधायक महुआ मोइत्रा शामिल थीं। अपनों को खोने वाले पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद विधायक महुआ मोइत्रा ने कहा कि ममता दीदी ने हमलोगों को भेजा है। दीदी ने कहा है कि पूरा बंगाल आप लोगों के साथ है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मारे गए लोगों के परिवारों को एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।
ओब्रायन ने कहा कि हमने मृतकों के परिजन से बातचीत की और उन्हें सभी तरह की सहायता का आश्वासन दिया। हम इन परिवार के सदस्यों के लिए न्याय चाहते हैं और तब तक हम अपनी लड़ाई नहीं छोड़ेगे जब तक जातीय घृणा अपराध करने वालों को सजा न मिल जाए। तृणमूल काग्रेस के सूत्रों के मुताबिक पार्टी ने सभी परिवारों को सहायता के तौर पर एक लाख रुपये की राशि दी।
बता दें कि अज्ञात बंदूकधारियों ने गुरुवार की रात में खेरोनीबाड़ी गाव के निकट बंगाली मूल के पाच लोगों की हत्या कर दी थी। इनमें से एक ही परिवार के तीन सदस्य थे। इस घटना की निंदा करते हुए तृणमूल काग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि वंचित और बेहद गरीब भारतीय नागरिकों की कायरतापूर्ण हत्या हुई है। यह सोची समझी हत्या है। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को हत्या पर गुस्सा जताते हुए कहा था कि देश में हिंसा का माहौल है।
बताते चलें कि इससे पहले जब राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अंतिम मसौदे के 30 जुलाई को प्रकाशन के बाद तृणमूल काग्रेस के छह सासदों का एक प्रतिनिधिमंडल दो अगस्त को स्थिति का जायजा लेने के लिए सिल्चर गया था लेकिन उन्हें हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया था। अगले दिन उन्हें वापस भेज दिया गया था।