Move to Jagran APP

अंधविश्वास के खिलाफ 50 साल से लोगों को जागरूक कर रहा यह शख्स

superstition. कुरीतियों के खिलाफ एक शख्स ने पिछले 50 साल से मुहिम छेड़ रखी है और आज 74 साल की उम्र में भी वह लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 06 Oct 2019 06:03 PM (IST)Updated: Sun, 06 Oct 2019 06:03 PM (IST)
अंधविश्वास के खिलाफ 50 साल से लोगों को जागरूक कर रहा यह शख्स
अंधविश्वास के खिलाफ 50 साल से लोगों को जागरूक कर रहा यह शख्स

विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। भारत वह देश है, जहां आज भी लोग ट्रैफिक सिग्नल से ज्यादा बिल्ली देखकर रुक जाते हैं। 21वीं सदी में भी डायन के संदेह में महिलाओं की हत्या, सांप के काटने पर डॉक्टर के पास ले जाने के बजाय ओझा बाबा के पास ले जाकर झाड़-फूंक कराना, विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए तंत्र-मंत्र और जादू-टोना कराना जैसे अंधविश्वास प्रचलित हैं। खासकर ग्रामीण इलाके इसकी बुरी तरह चपेट में हैं। इन तमाम कुरीतियों के खिलाफ एक शख्स ने पिछले 50 साल से मुहिम छेड़ रखी है और आज 74 साल की उम्र में भी वह लोगों को अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक कर रहे हैं।

loksabha election banner

इस शख्स का नाम है प्रबीर घोष। दमदम के मोतीझील इलाके के रहने वाले प्रबीर को अपने इस अभियान के दौरान तांत्रिक, ओझा व पाखंडी बाबाओं के रोष का भी शिकार होना पड़ा। उन पर कई बार जानलेवा हमले हो चुके हैं, हालांकि इससे उनके इरादे और मजबूत होते चले गए। बंगाल के पुरुलिया जिले के बेहद पिछड़े आद्रा इलाके में बचपन बिताने वाले प्रबीर ने अंधविश्वास व उसमें जकड़े लोगों को बेहद करीब से देखा है। युवावस्था में उन्होंने इसकी खिलाफत शुरू की। अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता फैलाने को उन्होंने 1985 में भारतीय विज्ञान और युक्तिवादी समिति की स्थापना की। अंधविश्वास दूर करने को उन्होंने अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं में अब तक 50 से अधिक पुस्तकें भी लिख डाली हैं। कलकत्ता विश्र्वविद्यालय से एमएससी व एमए करने वाले प्रबीर का दावा है कि अगर कोई व्यक्ति उन्हें उनकी आंखों के सामने कोई भी चमत्कार करके दिखा देगा तो वे उसे 50 लाख रुपये का इनाम देंगे।

किशोरावस्था में किया पाखंडी बाबा का पर्दाफाश 

प्रबीर के पिता प्रभात चंद्र घोष दक्षिण पूर्व रेलवे के अधिकारी और मां सुहासिनी घोष गृहिणी थी। प्रबीर ने बताया-'किशोरावस्था में मैं अपने परिवार के साथ खड़गपुर आ गया था। वहां एक समुदाय विशेष के लोग एक पाखंडी बाबा पर आंखें मूंदकर विश्र्वास करते थे। एक बार मैं भी उसके पास गया। बाबा हवा में हाथ हिलाकर अपने किसी भक्त को जामुन तो किसी को अंगूर दे रहा था। मुझे समझते देर न लगी कि यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि हाथ की सफाई है। मैं उसके पास गया और तरबूज की मांग कर डाली। हाथ की सफाई से इतना बड़ा तरबूज देना संभव नहीं था, सो उसका भांडा फूट गया। प्रबीर मानते हैं कि सिर्फ उन्हीं चीजों पर विश्र्वास करना चाहिए, जो विज्ञान की कसौटी पर खरा उतरें।

पुरुलिया में डायन के संदेह में महिलाओं की हत्या पर लगाया अंकुश

यह प्रबीर के अथक परिश्रम का ही नतीजा है कि आज बंगाल के पुरुलिया जिले में डायन के संदेह में महिलाओं की हत्या की वारदात पूरी तरह थम चुकी हैं। प्रबीर ने बताया कि एक समय था जब यहां डायन के संदेह में सालाना करीब 100 महिलाओं की हत्या कर दी जाती थी। हमारे संगठन ने वहां घर-घर जाकर लोगों का अंधविश्र्वास दूर करने को लेकर काफी काम किया है। नतीजतन, पिछले दो वषरें में वहां ऐसी एक भी वारदात नहीं हुई है।

ऐसे काम कर रहा संगठन 

भारतीय विज्ञान और युक्तिवादी समिति की वर्तमान में बंगाल समेत देशभर में 100 से अधिक शाखाएं हैं। बंगाल के सभी जिलों में शाखाएं हैं। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक, असम, त्रिपुरा समेत कई राज्यों में शाखाएं फैली हुई हैं। प्रत्येक शाखा में सात से 10 लोग शामिल हैं। शिक्षक, डॉक्टर, अधिवक्ता, जनप्रतिधि जैसे समाज के प्रबुद्ध लोगों को लेकर इन शाखाओं का गठन किया गया है। संगठन के सदस्य अपने साथ सर्पदंश के शिकार लोगों का इलाज करने के लिए 'एंटी वेनम' लेकर भी चलते हैं।

बंगाल की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.