कमर तोड़ महंगाई के दौर में 10 रुपये में भरपेट शुद्ध शाकाहारी भोजन करा रही यह संस्था
सोसायटी फॉर सोशल वेलफेयर एजेसी बोस रोड, मल्लिक बाजार नामक संस्था ने गरीबों का पेट भरने के लिए यह बीड़ा उठाया है, जिसे मां थाली नाम दिया गया है।
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। गर्मागर्म भात, गाढ़ी दाल और स्वादिष्ट सब्जी। साथ में सलाद और अचार भी। ये सबकुछ सिर्फ 10 रुपये में। चौंकिए मत, कमर तोड़ महंगाई के इस दौर में भी इतने सस्ते में इतना अच्छा खाना मिल रहा है। 'सोसायटी फॉर सोशल वेलफेयर एजेसी बोस रोड, मल्लिक बाजार' नामक संस्था ने गरीबों का पेट भरने के लिए यह बीड़ा उठाया है, जिसे 'मां थाली' नाम दिया गया है।
संस्था के मल्लिक बाजार स्थित क्लब भवन के सामने रोजाना दोपहर इस थाली के लिए कतार लग जाती है। बस 10 रुपये का कूपन काटिए और जाकर अपनी थाली ले लीजिए। थाली में भोजन की मात्रा इतनी कि आराम से पेट भर जाए। संस्था के अध्यक्ष शमशाद आलम एवं महासचिव बंदी प्रसाद साव ने बताया-'इस दुनिया में मां से बढ़कर कोई नहीं है। मां ही ममता का अहसास कराती है इसलिए उन्हें समर्पित करते हुए इसे 'मां थाली' नाम दिया गया है।
हम सोमवार से शनिवार रोजाना दोपहर एक से दो बजे तक लोगों को 10 रुपये में भरपेट भोजन कराते हैं। सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को भात, दाल और सब्जी जबकि बुधवार और शनिवार को खिचड़ी-सब्जी परोसी जाती है। संस्था के कोषाध्यक्ष राहुल जायसवाल ने बताया-'एक थाली में करीब 27 रुपये की लागत आती है। संस्था के सदस्यों के आर्थिक सहयोग से बाकी फंड का जुगाड़ होता है। सियालदह स्थित कोले मार्केट से कच्चा अनाज, सब्जियां व भोजन तैयार करने में लगने वाली अन्य सामग्रियां लाई जाती हैं। भोजन की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाता है। लोगों को शुद्ध शाकाहारी भोजन कराया जाता है। सब्जी का मेनु हर रोज बदला जाता है। क्लब भवन में पांच रसोइयों की टीम भोजन तैयार करती है जबकि भोजन बांटने में क्लब के 25-30 सदस्यों की टीम जुटी रहती है।
बापी चक्रवर्ती नामक रसोइये ने बताया-'इस नेक काम से जुड़कर हमें बहुत संतुष्टि मिलती है। हमारी टीम सुबह 8.30 बजे से काम में लग जाती है और दोपहर 12.30 बजे तक सारा भोजन तैयार हो जाता है। रसोई में सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है।'
संस्था के महासचिव प्रभु दयाल सिंह ने बताया-'हमारे यहां फिलहाल हर रोज 100 से 125 लोग भोजन करते हैं। इनमें आसपास स्थित अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन व श्रमिक वर्ग के लोग अधिक हैं। इस काम में स्थानीय पार्षद मंजर इकबाल का हमें पूरा सहयोग मिलता है। कोलकाता नगर निगम अगर हमें बड़ी जगह उपलब्ध कराए तो हम और भी बड़ी संख्या में लोगों को भोजन करा पाएंगे।'