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वंचित बच्चों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश लेकर आया ये भास्कर

68 साल के भास्कर दत्त चौधरी आर्थिक रूप से पिछड़े अनुसूचित जाति-जनजातियों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा मुहैया करा रहे हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 10:32 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jan 2020 10:32 AM (IST)
वंचित बच्चों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश लेकर आया ये भास्कर
वंचित बच्चों के जीवन में शिक्षा का प्रकाश लेकर आया ये भास्कर

हावड़ा, ओमप्रकाश सिंह। शिक्षा उज्‍ज्‍वल भविष्य की राह ही नहीं, सबका मौलिक अधिकार भी है। इस शख्स ने इसे गहराई से महसूस किया और गरीब व उपेक्षित वर्ग के बच्चों में शिक्षा मुहैया कराने में जुट गया। ये हैं 68 साल के भास्कर दत्त चौधरी, जो वर्षों से शिक्षा का अधिकार कानून के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े, अनुसूचित जाति-जनजातियों के बच्चों को अच्छे स्कूलों में नि:शुल्क शिक्षा मुहैया कराने में लगे हुए हैं।

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भास्कर दत्त ने 35 वर्ष पहले खजुराहो विवेकानंद ग्रामीण संस्था का गठन किया। उस समय वे गरीब ग्रामीण बच्चों को खुद पढ़ाते थे। उनके लिए पाठ्य सामग्रियों की भी व्यवस्था करते थे। उनके पढ़ाए कई छात्र आज सरकारी व निजी संस्थानों में कार्यरत हैं।

 अपनी कई छात्राओं की शादी के लिए उन्होंने चंदा एकत्र कर आर्थिक मदद भी की। देश में शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद भास्कर दत्त नौकरानी, रिक्शा चालक वाले, राजमिस्त्री के बच्चों को शिक्षित करने में लग गए।

हुगली जिले के बंडेल इलाके के रहने वाले भास्कर दत्त ने कहा, शिक्षा के अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों को निश्शुल्क अच्छे स्कूलों में पढ़ने का अधिकार है। काफी पढ़े लिखे लोगों को भी इस कानून की जानकारी नहीं है तो फिर दो जून की रोटी कमाने वालों को कहां से होगी? इन वर्गों के बच्चों को दाखिला लेने व निश्शुल्क पढ़ाने से इन्कार करने वाले स्कूलों के खिलाफ राज्य व केंद्र सरकार कार्रवाई कर सकती है। उन स्कूलों को काली सूची में डाला जा सकता है।

भास्कर दत्त ने बताया, पहले वे जिस स्कूल में गरीब बच्चे को लेकर गए थे, वहां से उन्हें लौटा दिया था लेकिन जिलाधिकारी से मिलकर बात करने के बाद उनका दाखिला हो गया। भास्कर दत्त अब तक शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 50 से अधिक बेहद गरीब बच्चों का अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में

दाखिला करा चुके हैं।

भास्कर कहते हैं, अक्सर बड़े स्कूल इस कानून को मानने से इन्कार करते हुए गरीब के बच्चों को अन्य स्कूलों में ले जाने की सलाह देते हैं जबकि उन स्कूलों को खुद ही अति पिछड़े, अनुसूचित जाति-जनजातियों के बच्चों को प्रत्यक्ष रूप से निश्शुल्क दाखिला लेने के लिए निर्देशिका जारी करनी चाहिए। इसे लेकर भी हम जागरुकता फैला रहे हैं। वह कहते हैं, कानून तो बन गया है लेकिन जागरुकता काफी कम है। मैं केंद्र व राज्य सरकारों को पत्र लिखकर पूरे देश के निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार के तहत 25 प्रतिशत निºशुल्क दाखिला आरक्षित करने की अपील करता हूं ताकि देशभर के गरीब बच्चों के भविष्य को उज्‍ज्‍वल किया जा सके। इसे लेकर जनहित याचिका दायर करने की भी तैयारी है।

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