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टीएमसी,भाजपा में जुबानी जंग जारी, ममता के मंत्री ने दी शाह को चुनौती

तृणमूल के वरिष्ठ नेता व पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्र ने कहा कि जनता अब अमित शाह को बंगाल में नहीं घुसने देगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 30 Jun 2018 10:52 AM (IST)Updated: Sat, 30 Jun 2018 02:21 PM (IST)
टीएमसी,भाजपा में जुबानी जंग जारी, ममता के मंत्री ने दी शाह को चुनौती
टीएमसी,भाजपा में जुबानी जंग जारी, ममता के मंत्री ने दी शाह को चुनौती

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बंगाल दौरा पूरा कर लौट जाने के बाद भी तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व का प्रहार जारी है। तृणमूल के वरिष्ठ नेता व पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्र ने शुक्रवार को कहा कि जनता अब अमित शाह को बंगाल में नहीं घुसने देगा।

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यही नहीं शाह पुरुलिया में जिन चार परिवारों से मिले थे उन्हें शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कालीघाट स्थित निवास पर लाया गया। पूर्व परिवहन मंत्री व तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मदन मित्र चारों परिवार को अपने साथ लेकर मीडिया से मुखातिब हुए।

मित्र ने उन्हें अपने साथ लेकर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पुरुलिया में अचानक दल बल के साथ इन चारों के घर पहुंच गए। दिहाड़ी मजदूर कर अपनी जीविका चलानेवाले पुरुलिया के ये चारों सदस्य अमित शाह को देखकर डर गए हैं।

शाह ने उन्हें जबरन भाजपा में शामिल होने के लिए दबाव डाला। इससे वे मानसिक रूप से इतने भयभीत हो गए कि उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास शरण लेने के लिए आना पड़ा। मित्र ने कहा कि भाजपा का उद्देश्य राज्य में गड़बड़ी फैलाना है। लेकिन भाजपा नेताओं को समझ लेना चाहिए कि बंगाल उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश नहीं है। यहां एक इंच भी जमीन भाजपा के लिए नहीं छोड़ी जाएगी। इसके पहले एक बार शाह बंगाल आए थे तो उन्होंने एक आदिवासी के घर केला पत्ता पर भोजन किया था। इस बार वह पुरुलिया में जबरन चार ग्रामीणों के घर पहुंच गए। उन्हें किसी ने बैठने के लिए भी नहीं पूछा।

मित्र ने दावा किया कि अगले बार शाह अगर आएंगे तो किसी के पास जाने का अवसर भी नहीं मिलेगा। तृणमूल सांसद डॉ शांतनु सेन ने कहा कि चारों ग्रामीण इस कदर भयभीत हैं कि उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ गई है। उनको जो सहारे की जरूरत है वह दी गई है। हालांकि संवाददाताओं ने जब चारों सदस्यों में से एक पांचु राजभर से भाजपा में शामिल कराने के लिए उस पर दबाव डालने के बारे में पूछा तो उसने इन्कार कर दिया। बाद में मदन मित्र ने तृणमूल का झंडा थमा कर उन्हें तृणमूल कांग्रेस में शामिल कराया।


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