ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका, भाजपा नेताओं के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई पर रोक
झटका-शीर्ष अदालत ने बंगाल सरकार को भेजा नोटिस। भाजपा नेताओं पर दर्ज केस पर मांगा जवाब। भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय और सांसद अर्जुन सिंह को मिली बड़ी राहत। अगली सुनवाई जनवरी दूसरे हफ्ते में होगी। याचिका में सरकार व पुलिस पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी को लगातार झटके लग रहे हैं। एक ओर उनकी पार्टी के दिग्गज नेता उन्हें छोड़कर जा रहे हैं, तो दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें शुक्रवार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय और सांसद अर्जुन सिंह सहित तीन अन्य नेताओं को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की पुलिसिया कार्रवाई पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार को इस संबंध में नोटिस भी जारी किया है और भाजपा नेताओं पर दर्ज अपराधिक मामलों के बारे में जानकारी मांगी है।
अगली सुनवाई जनवरी दूसरे हफ्ते में होगी
भाजपा नेताओं की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल सरकार व पुलिस को नोटिस जारी कर निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक राज्य में भाजपा के उन पांच नेताओं पर किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन नेताओं की याचिकाओं पर बंगाल सरकार को नोटिस जारी किए हैं। मामले की अगली सुनवाई जनवरी दूसरे हफ्ते में होगी।
सरकार व पुलिस पर प्रतिशोध का आरोप
भाजपा के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, सांसद अर्जुन सिंह और अन्य लोगों ने अलग-अलग याचिका दायर की है, जिसमें राज्य सरकार व पुलिस पर राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है। इसमें कहा गया है कि विधानसभा के आसन्न चुनावों से संबंधित राजनीतिक गतिविधियों से उन्हें दूर रखने के लिए उन पर झूठे आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और राज्य में एक आतंकी राज कायम है।
जनवरी के दूसरे सप्ताह सुनवाई को सूचीबद्ध
भाजपा सांसद अर्जुन सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ के सामने कहा कि 2019 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके मुवक्किल पर 64 मामले दर्ज किए गए हैं। रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इन मामलों को उनके मुवक्किल पर इसलिए लगाया गया कि वे अगले साल फरवरी या मार्च में होने वाले चुनावों में राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सके। विजयवर्गीय के वकील ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल को बंगाल में आने से रोकने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। शीर्ष अदालत ने मामले को जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।