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दिल ने आकर बचाई दिलचंद की जान, विमान से लाया गया 'ब्रेन डेड' घोषित व्यक्ति का हृदय

ब्रेन डेड' घोषित व्यक्ति का हृदय एक मरीज में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर कोलकाता ने चिकित्सा विज्ञान में नजीर पेश की है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 22 May 2018 09:19 AM (IST)Updated: Tue, 22 May 2018 04:36 PM (IST)
दिल ने आकर बचाई दिलचंद की जान, विमान से लाया गया 'ब्रेन डेड' घोषित व्यक्ति का हृदय
दिल ने आकर बचाई दिलचंद की जान, विमान से लाया गया 'ब्रेन डेड' घोषित व्यक्ति का हृदय

कोलकाता, जागरण संवाददाता। ब्रेन डेड' घोषित व्यक्ति का हृदय एक मरीज में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर कोलकाता ने चिकित्सा विज्ञान में नजीर पेश की है। उत्तर-पूर्वी भारत में पहली बार हृदय प्रत्यारोपण हुआ है। 6 घंटे चले ऑपरेशन के बाद फोर्टिस अस्पताल के सर्जनों की टीम ने इसे बखूबी अंजाम दिया।

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दान किए गए दिल को बेंगलुरु से चार्टर्ड विमान से सोमवार सुबह कोलकाता लाया गया। एयरपोर्ट से ईएम बाइपास के पास आनंदपुर स्थित फोर्टिस अस्पताल तक 'ग्रीन कारीडोर' तैयार कर दिल को शीघ्रातिशीघ्र अस्पताल लाया गया था। एयरपोर्ट से अस्पताल तक की 18 किलोमीटर की दूरी मात्र 22 मिनट में तय की गई।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बेंगलुरु में वरुण वीके नामक व्यक्ति सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। वरुण को वहां के स्पर्श अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गत 19 मई को चिकित्सकों ने वरुण को 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया। इसके बाद वरुण के परिजनों ने उसके दिल को दान करने का निश्चय किया। स्पर्श अस्पताल की ओर से चेन्नई के मलहार फोर्टिस अस्पताल से संपर्क किया गया। उस अस्पताल में कोई जरुरतमंद मरीज नही था।

इसके बाद कोलकाता के फोर्टिस अस्पताल से संपर्क किया गया, जहां दिलचंद सिंह नामक एक मरीज मिला, जिसकी जान बचाने के लिए हृदय प्रत्यारोपण की जरुरत थी। इसके बाद आपरेशन कर वरुण के सीने से दिल को निकालकर उसे 'प्रीजर्व' किया गया। सोमवार सुबह 10.30 बजे बेंगलुरु से चार्टर्ड विमान से दिल को कोलकाता लाया गया। चेन्नई फोर्टिस से भी डाक्टरों की टीम पहुंची थी। खास बक्से में घोल एवं नियंत्रित तापमान (2-3 डिग्री सेल्सियस) में रखे गए दिल को ग्रीन कॉरीडोर तैयार कर अस्पताल पहुंचाया गया।

डॉ. तापस रॉय चौधरी और डॉ. एआर मंदानार समेत 6-7 डाक्टरों की टीम ने तुरंत बेहद मुश्किल ऑपरेशन शुरू किया। करीब 6 घंटे चले ऑपरेशन के बाद आखिरकार सफलता हाथ लगी और कोलकाता के नाम चिकित्सा विज्ञान में नया कीर्तिमान दर्ज हो गया। ऑपरेशन के बाद मरीज दिलचंद की हालत स्थिर बताई गई है। उन्हें कड़ी चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है। दिलचंद मूल रूप से झारखंड के रहने वाले हैं। वे कार्डियोमायोपैथी से पीडि़त थे। मृतक और उनका ब्लड ग्रुप समान(ए पॉजिटिव) है।

सबसे पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण हुआ था एक कुत्ते का

सबसे पहला सफल हृदय प्रत्यारोपण एक कुत्ते का हुआ था। अमेरिकी सर्जन नॉर्मन सम्वे ने इसे अंजाम दिया था। कैलिफोर्निया की स्टेनफोर्ड यूनीवर्सिटी में यह प्रत्यारोपण 1958 में किया गया था। इसके बाद उन्होंने कई कुत्तों के हृदय का कामयाब प्रत्यारोपण किया। सम्बे ने हृदय प्रत्यारोपण की तकनीक विकसित की, जिसका आगे चलकर कई सर्जनों ने इस्तेमाल किया।

पहला सफल मानव हृदय प्रत्यारोपण

3 दिसंबर, 1967 को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में पहला सफल मानव हृदय प्रत्यारोपण किया गया। दक्षिण अफ्रीका के सर्जन क्रिस्टियन बर्नाड ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। उनकी टीम में 30 लोग शामिल थे और सर्जरी में 9 घंटे का वक्त लगा। इससे पहले 1905 में मानव हृदय प्रत्यारोपण की कोशिश की गई थी जो कामयाब नहीं हो पाई।

पहला मानव हृदय प्रत्यारोपण 53 साल के लुइस वाशकांस्काई नामक मरीज का किया गया। उनमें 25 साल की डेनिस डरवाल का हृदय प्रत्यारोपित किया गया था। डेनिस की किडनी ने दस साल के बच्चे की भी जान बचाई थी।


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