जब मृणाल सेन ने अभिनेत्री से पूछा था- उपले तैयार करना आता है?
मृणाल सेन की फिल्मों के किरदार इतने यथार्थवादी कैसे दिखते थे? क्यों उनकी फिल्में इतनी असरदार होती थीं?
कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। मृणाल सेन की फिल्मों के किरदार इतने यथार्थवादी कैसे दिखते थे? क्यों उनकी फिल्में इतनी असरदार होती थीं? मृणाल सेन के निर्देशन में बनी कई फिल्मों में काम कर चुकीं बीते जमाने की मशहूर बांग्ला फिल्म अभिनेत्री माधवी मुखर्जी ने इसका खुलासा किया है।
उन्होंने बताया-'मृणाल दा अपनी फिल्म के प्रत्येक चरित्र को गढ़ने में बहुत मेहनत करते थे और उन्हें निभाने के लिए सही कलाकार के चयन को प्रयासरत रहते थे।' 76 वर्षीया इस अदाकारा ने करीब 60 साल पहले प्रदर्शित हुई बांग्ला फिल्म 'बाइसे श्राबोण' से जुड़ा संस्मरण साझा करते हुए कहा-'इस फिल्म में बतौर अभिनेत्री लेने के लिए मृणाल दा ने मुझे अपने घर इंटरव्यू के लिए बुलाया था। मैं उनके घर पहुंची तो उन्होंने मुझसे पहला सवाल किया-क्या तुम्हें घर में झाड़ू लगाना आता है? मैंने कहा-हां। इसके बाद उन्होंने पूछा-क्या घर पोछना आता है? मैंने फिर हां में जवाब दिया। उन्होंने मुझसे घरेलू कार्यों के बारे में बहुत कुछ पूछा। चूंकि मुझे वे सब काम आते थे इसलिए मैं हां में जवाब देती चली गई। अंत में उन्होंने मुझसे पूछा-क्या तुम्हें उपले तैयार करना आता है? इस सवाल पर मैं चुप रह गई क्योंकि मैंने कभी उपले तैयार होते भी नहीं देखे थे। उसी समय मृणाल दा की पत्नी गीता वहां आईं और हस्तक्षेप करते हुए कहा-उपले तैयार करना कौन सा मुश्किल काम है। बस हाथ में गोबर लेकर दीवार में चपोटना है। यह लड़की कर लेगी। आप इसे फिल्म में ले लीजिए। इस तरह उनकी पत्नी के हस्तक्षेप से मुझे वह फिल्म मिल गई। तब से गीता दी मेरे लिए देवी समान हो गई थीं।' माधवी ने आगे कहा-'मृणाल दा ने मुझसे उस दिन इतने सवाल पूछे लेकिन अभिनय के बारे में कुछ भी नहीं पूछा था। दरअसल फिल्म में मेरा घरेलू लड़की का किरदार था। मृणाल दा इस बात को लेकर निश्चिंत होना चाहते थे कि फिल्म में मुझे घर का जो भी काम करते दिखाया जाए, वह वास्तविक लगे।'
माधवी ने कहा-'मृणाल दा ने अपनी फिल्मों के जरिए नारी सशक्तीकरण का संदेश दिया है। 1979 में आई फिल्म 'एक दिन प्रतिदिन' में उन्होंने दिखाया कि जब एक लड़का रात को देर से घर लौटता है तो घरवाले उससे कोई सवाल नहीं करते लेकिन जब एक लड़की को किसी दिन काम से घर लौटने में रात हो जाती है तो घरवाले ही उससे तरह-तरह के सवाल करने लगते हैं। मृणाल दा ने अपनी फिल्मों के जरिए महिलाओं के बारे में सोचने पर मजबूर किया था।'
माधवी ने आगे कहा-'सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक और मृणाल सेन, सभी का काम करने का अपना-अपना तरीका था। अपना धारा प्रवाह था। उनके काम में उनकी विचारधारा झलकती थी। मृणाल दा ने अपने फिल्म निर्माण के तरीके को लेकर कभी समझौता नहीं किया। काम के मामले में वे बड़ा-छोटा नहीं देखते थे बल्कि सबको समान रूप से लेकर चलते थे। उनकी फिल्में जितनी गंभीर होती थी, वे मन से उतने ही मजेदार इंसान थे। उनके सान्निध्य में रहने से लगता था कि कुछ सीखने को मिला है।
मृणाल सेन के निधन पर बांग्ला फिल्म जगत ने जताया शोक
बांग्ला फिल्म जगत ने किंवदंती फिल्मकार मृणाल सेन के निधन पर गहरा शोक जताया है। वरिष्ठ अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने कहा-‘मृणाल सेन के निधन से बांग्ला सिनेमा के अंतिम वटवृक्ष का पतन गया।’ जाने-माने फिल्म निर्देशक बुद्धदेव दासगुप्ता ने कहा-‘मृणाल सेन के निधन से एक युग का अवसान हो गया।’ टॉलीवुड के सुपरस्टार प्रसेनजीत चटर्जी ने कहा-‘साल की समाप्ति के समय मृणाल सेन जैसे किवंदंती के निधन की खबर ने मैं दुखी और स्तब्ध हूं। मृणाल काका ने भारतीय सिनेमा को नया परिप्रेक्ष्य दिया।’ अभिनेत्री एवं फिल्मकार अपर्णा सेन ने कहा-‘मृणाल काका को मैं बचपन से जानती थी। वे हमारे आत्मजन की तरह थे। उनकी फिल्मों में जान हुआ करती थी। जीवन का आनंद होता था। उनके काम को आत्मसात करने की जरुरत है।’
फिल्म निर्देशक ओनिर ने कहा-‘मृणाल सेन का जीवन बहुमूल्य फिल्मों वाला है। विश्व सिनेमा, भारतीय सिनेमा और बांग्ला सिनेमा में उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।’बीते जमाने की मशहूर अदाकारा माधवी मुखर्जी ने कहा-‘मृणाल दा जितनी गंभीर फिल्में बनाते थे, अंदर से उतने ही मजेदार इंसान थे। उनके साथ थोड़ी देर रहने से ही लगता था कि कुछ सीखा है।’ अभिनेत्री ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने कहा-‘उनसे मेरी जीवन में एक ही बार बहुत छोटी सी मुलाकात हुई है लेकिन उन्होंने हमें जो सिनेमाई सोच दी है, वो हमारे साथ जीवनभर रहेगी।’
फिल्म आलोचक अनिरुद्ध कर ने कहा-‘मृणाल सेन भारतीय फिल्मों को यूरोपीय फिल्मों के स्तर पर ले गए थे। उनका चले जाना बहुत बड़ी क्षति है।’ अभिनेत्री श्रीला मजुमदार ने कहा-‘मुङो लग रहा है कि मैंने अपने पिता को खो दिया है।’ वरिष्ठ अभिनेता परान बंद्योपाध्याय ने कहा-‘मृणाल सेन बांग्ला फिल्मों को बहुत ऊंचाई पर ले गए थे। वे अपनी फिल्मों के जरिए जनसाधारण से जुड़े मसलों को उठाते थे।’ अभिनेत्री ममता शंकर ने कहा-‘वे एक सच्चे और साहसी इंसान थे। मैंने अपने अभिभावक को खो दिया है।’ फिल्म निर्देशक गौतम घोष ने कहा-‘मैंने मृणाल सेन से काफी कुछ सीखा है। उनका निधन अपूरणीय क्षति है।’ वरिष्ठ अभिनेता धृतिमान चटर्जी ने कहा-‘वे जीवन के ध्रुवतारा थे।’जागरण संवाददाता, कोलकाता : बांग्ला फिल्म जगत ने किंवदंती फिल्मकार मृणाल सेन के निधन पर गहरा शोक जताया है। वरिष्ठ अभिनेता सौमित्र चटर्जी ने कहा-‘मृणाल सेन के निधन से बांग्ला सिनेमा के अंतिम वटवृक्ष का पतन गया।’ जाने-माने फिल्म निर्देशक बुद्धदेव दासगुप्ता ने कहा-‘मृणाल सेन के निधन से एक युग का अवसान हो गया।’ टॉलीवुड के सुपरस्टार प्रसेनजीत चटर्जी ने कहा-‘साल की समाप्ति के समय मृणाल सेन जैसे किवंदंती के निधन की खबर ने मैं दुखी और स्तब्ध हूं। मृणाल काका ने भारतीय सिनेमा को नया परिप्रेक्ष्य दिया।’ अभिनेत्री एवं फिल्मकार अपर्णा सेन ने कहा-‘मृणाल काका को मैं बचपन से जानती थी। वे हमारे आत्मजन की तरह थे। उनकी फिल्मों में जान हुआ करती थी। जीवन का आनंद होता था। उनके काम को आत्मसात करने की जरुरत है।’ फिल्म निर्देशक ओनिर ने कहा-‘मृणाल सेन का जीवन बहुमूल्य फिल्मों वाला है। विश्व सिनेमा, भारतीय सिनेमा और बांग्ला सिनेमा में उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।’बीते जमाने की मशहूर अदाकारा माधवी मुखर्जी ने कहा-‘मृणाल दा जितनी गंभीर फिल्में बनाते थे, अंदर से उतने ही मजेदार इंसान थे। उनके साथ थोड़ी देर रहने से ही लगता था कि कुछ सीखा है।’ अभिनेत्री ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने कहा-‘उनसे मेरी जीवन में एक ही बार बहुत छोटी सी मुलाकात हुई है लेकिन उन्होंने हमें जो सिनेमाई सोच दी है, वो हमारे साथ जीवनभर रहेगी।’ फिल्म आलोचक अनिरुद्ध कर ने कहा-‘मृणाल सेन भारतीय फिल्मों को यूरोपीय फिल्मों के स्तर पर ले गए थे। उनका चले जाना बहुत बड़ी क्षति है।’ अभिनेत्री श्रीला मजुमदार ने कहा-‘मुङो लग रहा है कि मैंने अपने पिता को खो दिया है।
’ वरिष्ठ अभिनेता परान बंद्योपाध्याय ने कहा-‘मृणाल सेन बांग्ला फिल्मों को बहुत ऊंचाई पर ले गए थे। वे अपनी फिल्मों के जरिए जनसाधारण से जुड़े मसलों को उठाते थे।’ अभिनेत्री ममता शंकर ने कहा-‘वे एक सच्चे और साहसी इंसान थे। मैंने अपने अभिभावक को खो दिया है।’ फिल्म निर्देशक गौतम घोष ने कहा-‘मैंने मृणाल सेन से काफी कुछ सीखा है। उनका निधन अपूरणीय क्षति है।’ वरिष्ठ अभिनेता धृतिमान चटर्जी ने कहा-‘वे जीवन के ध्रुवतारा थे।’