विद्यासागर के स्कूल में शिक्षकों की किल्लत
जागरण संवाददाता कोलकाता बंगीय नवजागरण के प्रणेता ईश्वर चंद्र विद्यासागर महान शिक्षाविद दार्शि
जागरण संवाददाता, कोलकाता : बंगीय नवजागरण के प्रणेता ईश्वर चंद्र विद्यासागर महान शिक्षाविद, दार्शनिक, लेखक, अनुवादक के साथ ही एक महान समाज सुधारक भी थे और उनके सामाजिक योगदानों का स्मरण कर बंगाल के लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं। बावजूद इसके दुख की बात यह है कि उसी महान मनीषी के निशां मिटने के कगार पर है और उसकी सुध लेने वाला तक कोई नहीं है। महानगर कोलकाता के व्यापारिक केंद्र बड़ाबाजार से लगे क्रीक रो स्थित मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन मौजूदा समय में शिक्षकों की भारी कमी जूझ रहा है और यही कारण है कि दिन-ब-दिन यहां पढ़ाने आने वाले छात्रों की संख्या कम हो रही है। एक समय था, जब इस स्कूल में हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ा करते थे, लेकिन आज छात्रों की संख्या घटकर 160 रह गई है और उन्हें पढ़ाने को केवल सात शिक्षक हैं। 1884 में ईश्वर चंद्र विद्यासागर द्वारा स्थापित इस स्कूल के पहले मुख्य शिक्षक स्वामी विवेकानंद थे। हालांकि, गत 26 सितंबर को विद्यासागर के 200वीं जयंती के मौके पर राज्य सरकार के साथ ही विपक्षी पार्टियों ने भी बढ़ चढ़कर कार्यक्रमों का आयोजन किया और राज्य की मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री व विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं ने उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें याद करते हुए लंबे चौड़े भाषण दिए। लेकिन किसी भी शख्स ने क्रीक रो स्थित विद्यासागर की स्कूल का जिक्र तक नहीं किया। वहीं स्कूल में शिक्षकों की कमी के कारण अभिभावक अपने बच्चों को यहां भेजना बंद कर दिए हैं। आलम यह है कि 160 छात्रों को पढ़ाने को केवल सात ही शिक्षक हैं। इसके अलावा स्कूल में कर्मियों की कमी के कारण शिक्षकों को ही घंटी भी बजाने पड़ती है। इस हाईस्कूल में पांचवीं से दसवीं कक्षा तक अंग्रेजी और बंगला पढ़ाने को केवल दो शिक्षक हैं तो इतिहास, जीव विज्ञान और शारीरिक शिक्षा को एक और अंकगणित व भौतिकी जैसे विषयों को पढ़ाने के लिए कोई शिक्षक नहीं है। हालांकि, गत गुरुवार को विद्यासागर की जयंती के मौके पर यहां नए जिम का उद्घाटन भी किया गया है तो स्कूल का भवन भी काफी मजबूत है। बावजूद इसके शिक्षकों की कमी के कारण छात्रा की संख्या लगातार घट रही है। स्कूल के पूर्व प्रधान शिक्षक सुंदर गोपाल बंद्योपाध्याय ने कहा कि अगर समय रहते समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे इस स्कूल का संचालन खासा मुश्किल होगा।