कोलकाता के डिसूजा परिवार के लिए 'भगवान' थीं सुषमा स्वराज
Sushma Swaraj. जुडिथ डिसूजा की मां ग्लोरिया डिसूजा की आंखों के आंसू थम नहीं रहे थे। उन्होंने कहा कि सुषमा जी दयालु महिला थीं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से कोलकाता का डिसूजा परिवार आहत है। परिवार के आंसू नहीं थम रहे हैं। वह सुषमा स्वराज ही थीं, जिनकी वजह से अफगानिस्तान में अगवा उनकी बेटी घर लौट पाई थी। घटना 2016 की है। डिसूजा परिवार की बेटी जुडिथ डिसूजा का अफगानिस्तान में अपहरण हो गया था। परिवार ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन राज्य सरकार से कोई मदद नहीं मिली। इसके बाद परिजनों ने तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को ट्वीट किया।
बिना देरी किए विदेश मंत्रालय सक्रिय हुआ और 24 घंटे के अंदर जुडिथ डिसूजा को ढूंढकर स्वदेश भिजवा दिया। बुधवार को जुडिथ डिसूजा की मां ग्लोरिया डिसूजा की आंखों के आंसू थम नहीं रहे थे। उन्होंने कहा कि सुषमा जी दयालु महिला थीं। समय से पहले ही एक योग्य व्यक्तित्व को देश ने खो दिया। उनका जाना काफी दुखद है।विदेश में रहने वाले लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए सुषमा स्वराज का नाम अब तक के विदेश मंत्रियों में शीर्ष पर है। यह दायित्वों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और सहृदयता ही थी कि लोग मजाक में कहते थे कि अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंस गए हैं तो सुषमा स्वराज को ट्वीट करिए, मदद मिल जाएगी।
दिग्गजों ने भी श्रद्धांजलि
सुषमा स्वराज के निधन से गहरा दुख पहुंचा है। मैं उन्हें 1990 से जानती थी। भले ही हमारी विचारधाराएं अलग थीं, लेकिन हमने संसद में साथ में काफी अच्छा वक्त बिताया है। एक जबरदस्त राजनेता, नेता, अच्छी इंसान। हम उन्हें बहुत याद करेंगे। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी सहानुभूति।
-ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल।
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सुषमा स्वराज के जाने से राष्ट्र ने एक कुशल संचालक को खो दिया। वह एक शानदार सांसद थीं, शानदार नेत्री और राजनीति तथा अन्य सामाजिक सीमाओं को तोड़कर काम करने वाले नेताओं में शामिल रही। राष्ट्र के प्रति वह कितनी समर्पित थीं यह उनके आखिरी ट्वीट में देखा गया था। उन्होंने लिखा था कि मैं अपने जीवन में इस दिन का इंतजार कर रही थी जब अनुच्छेद 370 हटाया जाएगा। उनका यह आखरी ट्वीट हमेशा लोगों को याद रहेगा।
-जगदीप धनकड़, राज्यपाल, पश्चिम बंगाल।
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सुषमा स्वराज मुझ से तीन साल छोटी थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने हमेशा बड़ी बहन की तरह मुझे प्यार दिया। इतना ही नहीं, कैबिनेट मंत्री रहते हुए उनका स्नेह मां से कम नहीं था। उनका जाना काफी दुखद है।
-सूर्यकांत मिश्र, सचिव, माकपा।
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