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पश्चिम बंगाल में बच्चों की खरीद-फरोख्त पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

पीठ का कहना था, पश्चिम बंगाल के 23 जिलों में केवल दो बाल कल्याण समितियों का सक्रिय होना बच्चों के कल्याण के लिए उचित नहीं है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 02:13 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 02:13 PM (IST)
पश्चिम बंगाल में बच्चों की खरीद-फरोख्त पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
पश्चिम बंगाल में बच्चों की खरीद-फरोख्त पर सुप्रीम कोर्ट सख्त

नई दिल्ली, प्रेट्र। पश्चिम बंगाल में बच्चों की तस्करी और खरीद-फरोख्त जारी रहने की खबरों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। उसने इस बात पर गहरी नाराजगी जाहिर की है कि इतनी गंभीर समस्या होने के बावजूद राज्य के 23 जिलों में सिर्फ दो बाल कल्याण समितियां (सीडब्ल्यूसी) ही सक्रिय हैं। शीर्ष न्यायालय ने इसको लेकर राज्य सरकार को तगड़ी फटकार लगाई। पूछा, '23 जिलों का काम केवल दो बाल कल्याण समितियां कैसे देख सकती हैं?'

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जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ का कहना था, 'पश्चिम बंगाल के 23 जिलों में केवल दो बाल कल्याण समितियों का सक्रिय होना बच्चों के कल्याण के लिए उचित नहीं है।' शीर्ष कोर्ट ने पूछा कि सीडब्ल्यूसी में खाली जगहों को भरने के लिए राज्य सरकार ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया? पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल थे। पीठ बाल आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों के शोषण से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी।

इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार के वकील से कहा, 'आपके यहां पश्चिम बंगाल में बच्चों के बेचे जाने का मामला है। क्या आपको दिखाई नहीं देता है कि यह कितनी बड़ी समस्या है? खबरें बताती हैं कि राज्य में बच्चों की तस्करी भी हो रही है। अगर तस्करी हो रही है तो ऐसे बच्चों की हिफाजत करना जरूरी है।' पीठ के ऐसा कहने पर राज्य सरकार के वकील ने बताया कि सीडब्ल्यूसी में रिक्तियों को भरने के लिए इंटरव्यू चल रहा है।' इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, 'यह काम पहले क्यों नहीं किया गया? ऐसा नहीं है कि समस्या अचानक आ खड़ी हुई है। यह बिल्कुल गलत बात है।'

'पश्चिम बंगाल में बच्चे बेचे जा रहे हैं। वहां बच्चों की तस्करी भी हो रही है। यह बहुत-बहुत गंभीर समस्या है। कभी न कभी किसी को तो इस पर चेतना होगा।'

-सर्वोच्च न्यायालय की पीठ


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