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बाघों के हमले में मारे गए लोगों के परिवार के लिए मोदी सरकार से आर्थिक मदद चाहते हैं सुंदरवन के मछुआरे

मांग भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के दौरान प्रमुखता से रखेंगे अपनी यह मांग सुंदरवन में पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों मछुआरे हुए हैं बाघों के शिकार सुंदरवन में 30 लाख से अधिक मछुआरे हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 10 Dec 2020 08:35 AM (IST)Updated: Thu, 10 Dec 2020 08:40 AM (IST)
बाघों के हमले में मारे गए लोगों के परिवार के लिए मोदी सरकार से आर्थिक मदद चाहते हैं सुंदरवन के मछुआरे
सुंदरवन में पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों मछुआरे हुए हैं बाघों के शिकार

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। सुंदरवन के मछुआरे बाघों के हमले में मारे गए अपने समुदाय के लोगों के परिजनों के लिए मोदी सरकार से आर्थिक मदद चाहते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से गुरुवार को डायमंड हार्बर में मुलाकात के दौरान वे अपनी इस मांग को प्रमुखता से रखेंगे। रायदीघी फिशरमेंस वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रॉबिन दास ने बताया-'सुंदरवन में पिछले कुछ वर्षों में बाघों के हमले में सैकड़ों लोग मारे गए हैं। उनका परिवार बदतर हालत में हैं। उनकी न तो कभी केंद्र ने सुध ली और न ही राज्य सरकार ने। हम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से उनके लिए आर्थिक मदद का अनुरोध करेंगे।

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सुंदरवन सामुद्रिक मत्स्यजीवी श्रमिक यूनियन के सचिव सतीनाथ पात्र ने कहा-'सुंदरवन के जंगलों में केकड़ा पकड़ने जाने वाले लोग ही ज्यादातर बाघों के हमले के शिकार होते हैं। दरअसल सुंदरवन के बाघ भी मछलियां और केकड़ा ï खाते हैं इसलिए अक्सर मछुआरों का उनसे सामना हो जाता है।

 डीजल पर दी जाए सब्सिडी

रॉबिन दास ने कहा-'मछुआरों को डीजल पर सब्सिडी दिए जाने पर काफी राहत मिलेगी। मछुआरों का दल अगर सात दिनों के लिए ट्राली लेकर मछलियां पकड़ने निकलता है तो उसे 2600-2800 लीटर डीजल साथ लेकर चलना पड़ता है। ट्राली चलाने से लेकर मछलियां पकड़ने के उपकरण को ऑपरेट करने तक में डीजल की खपत होती है। हम जेपी नड्डा से इस बाबत भी अनुरोध करेंगे। वहीं सतीनाथ पात्र ने कहा-'मछलियां पकड़ने का 80 फीसद खर्च डीजल पर ही आता है। सब्सिडी मिलने पर काफी सुविधा होगी।

सरकार सीधे मछुआरों से खरीदे मछलियां

सतीनाथ पात्र, जोकि वेस्ट बंगाल युनाइटेड फिशरमेंस एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष भी हैं, ने कहा-'जिस तरह राज्य सरकार सीधे किसानों से धान खरीदती है, उसी तरह हमसे भी मछलियां खरीदे और धान की तरह मछलियों का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करे। सरकार के हमसे मछलियां नहीं खरीदने के कारण हमें उन्हें मध्यस्थों को बेहद कम दाम में बेचना पड़ता है। कोल्ड स्टोरेज की कमी के कारण हम मछलियों को अपने पास रख नहीं सकते वरना उनके सड़ने की आशंका है। 

रॉबिन दास ने कहा-'मछलियों का कारोबार पिछले तीन साल से बहुत मंदा है। पहले सुंदरवन से 19,000 मैट्रिक टन मछलियों की आपूर्ति होती थी जबकि अभी इसका एक तिहाई ही कारोबार हो रहा है। फिलहाल 70 फीसद बोट नही चल रहे। महाजन से रुपये लेकर बोट चलाना संभव नहीं है। बोट चलाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ रही है। मछुआरों के लिए सरकार की तरफ से बीमा की भी कोई व्यवस्था नहीं है। हमारे बोट के समुद्र में डूबने पर सरकार की तरफ से उसे निकालने की भी कोई व्यवस्था नहीं की जाती जबकि बांग्लादेश जैसे छोटे से पड़ोसी देश की सरकार अपने मछुआरों के लिए यह व्यवस्था करती है।

सुंदरवन में 30 लाख से अधिक मछुआरे

सुंदरवन में 30 लाख से अधिक मछुआरे हैं। सुंदरवन के कुलतली, बांसती, गोसाबा, काकद्वीप, रायदीघी, पाथरप्रतिमा समेत विभिन्न इलाकों में वे वास करते हैं। 


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