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सबंग विस उपचुनाव में टीएमसी के विक्षुब्धों पर भाजपा की नजर

श्चिम मेदिनीपुर के सबंग विधानसभा उपचुनाव सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के प्रतिष्ठा से जुड़ गया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 06:01 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 06:12 PM (IST)
सबंग विस उपचुनाव में टीएमसी के विक्षुब्धों पर भाजपा की नजर
सबंग विस उपचुनाव में टीएमसी के विक्षुब्धों पर भाजपा की नजर

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। इस माह के तीसरे सप्ताह में होने वाले पश्चिम मेदिनीपुर के सबंग विधानसभा उपचुनाव सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। अगले साल की शुरुआत में होने वाले पंचायत चुनाव के पहले यह सबंग विधानसभा उपचुनाव राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। तृणमूल से अलग होकर भाजपा नेता के रूप में काम कर रहे मुकुल राय के राजनीतिक करियर के लिए भी यह चुनाव मायने रखता है।

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चुनाव के रणनीतिकार समझे जाने वाले मुकुल को पता भी है कि लगातार कई साल से इस क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर जीतते रहे मानस भुइयां के गढ़ में जीत का भगवा परचम लहराना आसान नहीं है। लेकिन किसी तरह वह भाजपा की झोली में अधिक वोट लाकर यदि पार्टी को दूसरे पायदान पर खड़ा कर देते हैं तो यही उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। भाजपा को राज्य में दूसरी बाड़ी को आधार बनाकर मुकुल पंचायत चुनाव में जाना चाहते हैं। यही उनकी रणनीति है। इसके लिए भी उन्हें तृणमूल कांग्रेस के विक्षुब्धों की मदद लेनी होगी।

सूत्रों के मुताबिक, मानस कांग्रेस से तृणमूल में गए हैं और उनके राज्यसभा में चले जाने पर यह सीट रिक्त हुई है। स्थानीय तृणमूल कांग्रेस नेता पार्टी के पुराने किसी नेता को सबंग से उम्मीदवार बनाने के पक्ष में थे। पार्टी का एक गुट मानस भुइयां की पत्नी की जगह उनके भाई विकास भुइयां को उम्मीदवार बनाना चाहते थे। विकास भुइयां को पश्चिम मेदिनीपुर की राजनीति में सक्रिया भूमिका रही है। लेकिन मानस भुइयां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को विश्वास में लेकर अपनी पत्नी गीतारानी भुइयां को सबंग से उम्मीदवार बनाने में सफल हो गए। मुकुल को सबंग में तृणमूल कांग्रेस में आपसी गुटबाजी की जानकारी है और उसी को वह चुनाव में भुनाने का प्रयास कर रहे हैं।

वैसे भाजपा ने जिस अंतरा भट्टाचार्य को उम्मीदवार बनाया है, वह राजनीतिक रूप से सशक्त उम्मीदवार है। वह कभी माकपा से जुड़ी थीं और जिला की राजनीति में सक्रिय रही हैं। माकपा ने जिस महिला उम्मीदवार रत्ना मंडल पर भरोसा किया है, वह भी जिला की राजनीति में पार्टी की सक्रिय कार्यकर्ता हैं। रत्ना मंडल का पंचायत स्तर पर मजबूत पकड़ है। कांग्रेस ने मानस भुइयां से दल बदल का बदला लेने के लिए चिरंजित भौमिक को उम्मीदवार बनाया है।

वैसे कहने को तो सबंग कांग्रेस की परंपरागत सीट है, लेकिन राजनीतिक रूप से उस पर मानस का कब्जा रहा है। इसलिए इस बार कांग्रेस की भूमिका वोट काटने तक ही सीमित रहेगी। कुल पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में है, लेकिन मुख्य लड़ाई तृणमूल कांग्रेस, भाजपा और माकपा की महिला उम्मीदवारों के बीच है। इसमें देखना है कि अन्य पार्टियों के विक्षुब्धों के सहारे भाजपा कहां तक अपना राजनीतिक ग्राफ बढ़ाने में सफल होती है।

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