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पश्चिमी बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की क्या हो रणनीति, अभी से मंथन शुरू

West bengal BJP दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद अब पश्चिमी बंगाल विधानसभा चुनाव में रणनीति बदलने को लेकर नेताओं में आपस में बहस शुरू हो गई है।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Fri, 14 Feb 2020 07:23 PM (IST)Updated: Fri, 14 Feb 2020 07:23 PM (IST)
पश्चिमी बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की क्या हो रणनीति, अभी से मंथन शुरू
पश्चिमी बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की क्या हो रणनीति, अभी से मंथन शुरू

जागरण संवाददाता, कोलकाता। West bengal BJP: पश्चिमी बंगाल में विधानसभा चुनाव 2021 के मध्य में है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद इसकी बंगाल इकाई के चुनाव प्रबंधक अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विभाजित हैं। उनमें यह विभाजन इसलिए है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) एवं प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) पर पार्टी की आक्रामक रणनीति को आगे बढ़ाया जाए या कोई बीच का रास्ता निकाला जाए।

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भाजपा के राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में मुख्यामंत्री के नाम की घोषणा पहले होने चाहिए वहीं पश्चिमी बंगाल भाजपा अध्यकक्ष ने कहा कि चुनाव के बाद सीएम की घोषणा होनी चाहिए। अन्यच नेताओं ने भी अपने अलग मत दिए हैं। प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, 'कुछ महीनों के भीतर दिल्ली में विपरीत परिणाम देखा गया। इसलिए हमें निश्चिंत नहीं होना चाहिए कि हमने बंगाल में 18 सीटें जीतीं, हम विधानसभा चुनाव भी जीतेंगे।

हमें राज्य के चुनावों के लिए अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है। यह नहीं देखना चाहिए कि राष्ट्रीय स्तर पर हम क्या काम कर रहे हैं बल्कि राज्य के चुनावों के लिए भी काम करना होगा। हमारा अभियान न केवल सीएए के कार्यान्वयन और एनआरसी की आवश्यकता को उजागर करने के लिए हो बल्कि शासन की नीतियों पर वैकल्पिक और बेहतर अभियान पर भी जोर होना चाहिए। घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए एनआरसी की मांग के साथ ही नया नागरिकता कानून राज्य में नवीनतम मुद़दे के रूप में उभरा है। इसका तृणमूल कांग्रेस पूरे दम से विरोध कर रही है। वहीं भाजपा इसके कार्यान्वयन के लिए दबाव डाल रही है।

राज्य भाजपा इकाई के एक अन्य वर्ग का मानना है कि पार्टी की रणनीति में बदलाव की जरूरत नहीं है। उनका मानना है कि आक्रामक राजनीति पार्टी के लिए सकारात्मक रही है। यदि तृणमूल जैसी पार्टी का मुकाबला करना चाहते है तो अपनी आक्रामक रणनीति को बनाए रखना होगा। नए नागरिकता बिल के मुद्दे एवं प्रस्तावित एनआरसी पर पार्टी के अभियान का लोकसभा चुनाव में अच्छा परिणाम देखा गया है। यदि हम अपनी रणनीति बदलते हैं तो हमें समझना होगा कि हम पीछे हट रहे हैं और इसका हमारे कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा।

दासगुप्ता ने कहा, सीएम के नाम की घोषणा हो पहले

भाजपा के राज्यसभा सदस्य स्वप्न दासगुप्ता ने ट्वीट किया कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नाम पर ही चुनाव जीता नहीं जा सकता है। चुनाव लड़ने से पहले पार्टी को मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने आगे लिखा, आदर्श मुद्दों के बदले विकास मूलक कार्यों को विशेष महत्व देना होगा। दासगुप्ता के ट्वीट के बाद पार्टी के भीतर ही विवाद शुरू हो गया है।

दिलीप घोष बोले, चुनाव के बाद सीएम तय हो

दासगुप्ता के ट्वीट पर बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, जीतने के बाद ही तय किया जाता है कि कौन मुख्यमंत्री होगा। स्वप्न द्वारा मोदी-शाह का नाम लेकर बयान देने के सवाल पर कहा कि इसका जवाब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व देगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिमी बंगाल में भाजपा ने 42 में से 18 एवं दिल्ली में सभी सात लोकसभा सीटें जीती थीं।


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