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कोलकाता में आयोजित मानव तस्करी रोधी संगोष्ठी में बचने और बचाने वालों की सुनाई दी कहानी

कोलकाता में आयोजित मानव तस्करी रोधी संगोष्ठी में बचने और बचाने वालों की सुनाई दी कहानी शक्ति वाहिनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों राज्य की एजेंसियों और सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर मानव तस्करी को रोकने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के लिए काम कर रहा है।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 22 May 2022 03:35 PM (IST)Updated: Sun, 22 May 2022 03:35 PM (IST)
कोलकाता में आयोजित मानव तस्करी रोधी संगोष्ठी में बचने और बचाने वालों की सुनाई दी कहानी
कोलकाता में आयोजित मानव तस्करी रोधी संगोष्ठी में बचने और बचाने वालों की सुनाई दी कहानी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। दुनिया में अगर बुरे लोग हैं तो ऐसे नायक भी हैं जो मुश्किल में फंसे लोगों के लिए लड़ते हैं। यह कहना है कि अमेरिकी विचारक और सामाजिक उद्यमी वैनेसा बाउशे का। उन्होंने यह राय कोलकाता स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास द्वारा दिल्ली के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) शक्ति वाहिनी की साझेदारी से यहां आयोजित नौवें मानव तस्वरी रोधी संगोष्ठी को आनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए व्यक्ति की।

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शुक्रवार को आयोजित यह संगोष्ठी विभिन्न हितधारकों जिनमें छात्र, शिक्षक, मानव तस्करी से बचे लोग, पुलिस कर्मी और सरकारी प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाई। संगोष्ठी में शामिल प्रतिभागी पश्चिम बंगाल, झारखंड , बिहार और असम से आए थे जिन्होंने तस्करों के चंगुल से बचने, पुनर्वास और इस संकट को खत्म करने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर अपने अनुभवों को साझा किया।

शक्ति वाहिनी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, राज्य की एजेंसियों और सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर मानव तस्करी को रोकने, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा के लिए काम कर रहा है। संगठन ने मानव तस्करी को रोकने और बचाव एवं पुनर्वास कार्य को तेजी से करने के लिए अंतर राज्य सहयोग की वकालत की।

शक्ति वाहिनी के सह संस्थापक ऋषिकांत ने कहा, केंद्र सरकार ने जुलाई, 2020 में उच्च स्रोत इलाकों में मानव तस्करी को रोकने के लिए परामर्श जारी किया था। इन इलाकों में कोविड-19 की वजह से मानव तस्करी बढ़ने का खतरा अधिक था। हमने विभिन्न स्थानों पर अभियान चलाना शुरू किया, तब समुदायों की सूचना पर हम मानव तस्करी के कई मामलों को रोकने में सफल रहें।

कांत ने रेखांकित किया कि महामारी के दूसरे साल पश्चिम बंगाल में 1910 पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया। इस पहल ने 250 मामलों में प्रत्यक्ष मदद की जिससे राज्य में 89 बच्चों को बरामद किया गया। इन कदमों की प्रशंसा करते हुए कोलकाता स्थित अमेरिकी वाणिज्यदूत मेलिंडा पावेक ने रेखांकित किया कि मानव तस्करी का समाधान केवल एक देश या एक संगठन के जरिये नहीं हो सकता है। 


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