बंगाल में भाजपा का मिशन को-ऑपरेटिव रहा कामयाब
प्रकाश पांडेय कोलकाता हिसा व खौफ की राजनीति से मुक्ति पाने व काम को सम्मान देकर बंगाल की
प्रकाश पांडेय, कोलकाता : हिसा व खौफ की राजनीति से मुक्ति पाने व काम को सम्मान देकर बंगाल की जनता ने साबित कर दिया कि अब वे विकास के पथ पर लौटना चाहते हैं। देर जरूर हुई लेकिन बंगवासियों ने इस मिंट्टी के लाल श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपने मत के जरिए सम्मान व श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके सपनों को साकार करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। उक्त बातें प्रदेश भाजपा को-ऑपरेटिव सेल के सह संयोजक निशिथ दत्ता ने कहीं। उन्होंने कहा कि राज्यभर में पार्टी कर्मियों व संघ मित्रों ने संयुक्त रूप से जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को देश व राज्य की वास्तविक स्थिति से अवगत कराने का काम किया, जिसका नतीजा हमारे सामने है। उन्होंने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कालजयी कविता की पंक्तियों को दोहराते हुए कहा कि अबकी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास कार्यो के साथ ही मस्तिष्क में अटल जी की कविता ''हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा'' को लिए हम जन-जन तक पहुंचे। कई बार प्रचार के दौरान राज्य की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा हमे रोकने की कोशिश की गई। उत्तर बंगाल में हमले भी हुए। साधु-संत व कई संघ मित्र घावी हुए, पर हम बिना विचलित हुए अपने मार्ग पर अग्रसर रहे। लेकिन इन सब के बीच खास बात यह रही कि आमजन ने हमारी पीड़ा को समझा और चुनावी नतीजे ने खौफ को मात दे दी। वहीं खामोशी से राज्य भर में को-ऑपरेटिव के जरिए लोगों को रोजगार से जोड़ने में लगे रहे प्रदेश भाजपा को-ऑपरेटिव सेल के संयोजक कनाई भंट्टाचार्य ने चुनाव से पूर्व जिन सीटों पर भाजपा की जीत का दावा किया था, वहां हकीकत में भाजपा जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। गांव-गांव घूम मोदी के विकास संदेश से लोगों को अवगत कराने के साथ ही उन्होंने को-ऑपरेटिव के जरिए नए सिरे से किसानों व युवाओं को जोड़ने का काम किया। उनके परिश्रम का प्रतिफल यह रहा कि उनकी मेहनत आखिरकार वोट में परिणित हुई और भाजपा उन संसदीय क्षेत्रों में जीत दर्ज करने में कामयाब रही, जहां किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। कनाई कहते हैं कि राज्य की स्थिति बद से बदतर हो चली थी। अगर अब भी भाजपा को जीत नहीं मिलती तो यहां सांस लेना भी दुश्वार होता। जिस देश के आत्मा में राम बसते हैं उसी देश के हिस्से बंगाल में राम का नाम लेने पर लोगों को जेल भेज दिया जाता है। हम हिसा की नहीं, बल्कि अहिसा की बात करते हैं। लोगों को जोड़ने का काम करते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जाति-धर्म के नाम पर लोगों को बरगलाने का काम किया। आगे उन्होंने कहा कि आज लोग काम को ईनाम देते हैं और इसी कड़ी में बंगाल की जनता ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ईनाम के साथ ही सम्मान देने का काम किया है।
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