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West Bengal Assembly Election 2021: बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिले सौरव गांगुली, भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज

West Bengal Assembly Election 2021 सौरव गांगुली ने राजभवन जाकर बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। इसके साथ ही उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। सौरव ने हालांकि इसे सौजन्यमूलक मुलाकात बताया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 06:42 PM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 07:02 PM (IST)
West Bengal Assembly Election 2021: बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मिले सौरव गांगुली, भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज
बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ राज्यपाल से मिले सौरव गांगुली। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal Assembly Election 2021: टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व मौजूदा बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली ने रविवार शाम राजभवन जाकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। इसके साथ ही उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं। सौरव ने हालांकि इसे सौजन्यमूलक मुलाकात बताया है। सौरव रविवार शाम करीब 4.30 बजे राज्यपाल से मिलने पहुंचे। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। राजभवन सूत्रों से पता चला है कि सौरव निजी कारणों से मिलने पहुंचे थे, जिसका राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। सौरव खुद भी कई बार कह चुके हैं कि उनकी फिलहाल राजनीति में आने की कोई योजना नहीं है।

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मुलाकात के बाद राज्यपाल ने ट्वीट कर कहा-' सौरव के साथ मेरी विभिन्न मुद्दों पर बातचीत हुई। उन्होंने मुझे ईडन गार्डेंस स्टेडियम आने के लिए आमंत्रित किया है, जो कि 1864 में निर्मित देश का सबसे पुराना क्रिकेट ग्राउंड है।' गौरतलब है कि बंगाल भाजपा सौरव को पार्टी में शामिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है। भाजपा बंगाल में 'दादा बनाम दीदी' की सीधी लड़ाई करना चाह रही है। वैसे सौरव के बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बेहद अच्छे संबंध हैं। सौरव को बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनाने में ममता की सीधे तौर पर भूमिका रही है। इसी तरह सौरव के केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी बेहतर संबंध हैं। सूत्रों की मानें तो अमित शाह के समर्थन से ही वे बीसीसीआइ के अध्यक्ष बने हैं।  बीसीसीआइ के सचिव अमित शाह के पुत्र जय शाह हैं। सौरव के माकपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के पूर्व मंत्री अशोक भट्टाचार्य के साथ भी गहरे संबंध हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने अशोक भट्टाचार्य की पुस्तक का भी लोकार्पण किया था। सौरव के करीबियों का कहना है कि दादा सबके साथ बेहतर संबंध बनाकर चलना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने खुद को राजनीति से दूर रखा हुआ है।


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