मोहर्रम के जुलूस की निगरानी के लिए तैनात रहेंगे छह हजार पुलिसकर्मी
पश्चिम बंगाल पुलिस ने शुक्रवार को मोहर्रम के जुलूस के मद्देनजर शहर और प्रदेश में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल पुलिस ने शुक्रवार को मोहर्रम के जुलूस के मद्देनजर शहर और प्रदेश में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। कोलकाता पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि पुलिस अफसर विभिन्न अहम स्थानों पर तैनात किए जाएंगे। उनकी तैनाती खासतौर पर मस्जिदों के पास और उन सड़कों पर होगी जहां से जुलूस को गुजरना है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जुलूस की निगरानी के लिए करीब 6000 पुलिसकर्मियों को शहर की सड़कों पर तैनात किया जाएगा ताकि कोई अप्रिय घटना नहीं हो। इसके अलावा, जुलूस के मद्देनजर, कोलकाता पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूटीआर) फ्लाइंग रेडियो स्क्वॉड (एफआरएस) और मोबाइल गश्ती वैनों को भी तैनात किया जाएगा।
कोलकाता यातायात पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मोहर्रम का जुलूस कल सुबह नौ बजे शुरू होगा और कुछ सड़कों पर यातायात की आवाजाही पर रोक रहेगी। यातायात के लिए मार्ग में बदलाव होगा और जुलूस के साथ पुलिस तैनात होगी।
उन्होंने कहा कि शहर पुलिस मोहर्रम के जुलूस को लेकर किसी तरह की झूठी खबर या अफवाह फैलने से रोकने के लिए सोशल मीडिया पर कड़ी नजर रख रही है। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने सचिवालय में पत्रकारों से कहा कि हमने प्रशासन को सतर्क किया है और उनसे राज्य में जुलूस के दौरान किसी रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने को कहा है। हम मोहर्रम के जुलूस के दौरान बिल्कुल शांति चाहते हैं।
मोहर्रम के जुलूस में हथियार नहीं ले जाने की अपील
पश्चिम बंगाल में मुस्लिम उलेमा और नेताओं ने समुदाय से अपील की है कि मोहर्रम के जुलूस के दौरान हथियार ले जाने से परहेज करें। शहर की मुख्य मस्जिद नखुदा के इमाम मौलाना मोहम्मद शफीक कासमी ने गुरुवार को कहा कि उन्होंने समुदाय के लोगों से अपील की है कि वह मोहर्रम के दौरान हथियारों के साथ जुलूस निकालने से बचें क्योंकि यह इस्लाम के खिलाफ है।
मौलाना कासमी ने कहा कि हमारे इस्लामी कानूनों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि मोहर्रम के दौरान हथियारों के साथ जुलूस निकालना चाहिए। मुस्लिम शिया फिरके के मौलाना रिजवी ने हथियार नहीं ले जाने पर मौलाना कासमी की बात से सहमति जताई। उन्होंने कहा कि हम जुलूस इसलिए निकालते हैं क्योंकि यह दुख का वक्त होता है।
जब हम जुलूस निकालते हैं तो हम अपना दुख जाहिर करते हैं, लेकिन हम (शिया) मोहर्रम के जुलूस के दौरान हथियार ले जाने के न पक्ष में हैं और न ऐसा करते हैं। मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जिसका 10वां दिन शिया समुदाय समेत सभी मुसलमानों के लिए काफी अहम हैं।
शिया समुदाय के लोग इस दिन इस्लाम के आखिरी पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। वह 680 ई. में हुई करबला की जंग में शहीद हो गए थे। मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन रोजा (व्रत) रखते हैं। तृणमूल कांग्रेस के सांसद इदरिस अली ने भी लोगों से मोहर्रम के जुलूस के दौरान हथियार नहीं ले जाने की अपील की है।