देश के विकास के लिए नेता नहीं आदर्श जरूरी : येचुरी
- माकपा महासचिव ने केंद्र सरकार की नीतियों की जमकर की आलोचना - कहा, मौजूद शासन में द
- माकपा महासचिव ने केंद्र सरकार की नीतियों की जमकर की आलोचना
- कहा, मौजूद शासन में देश में हर दिन बढ़ रहा आर्थिक व सामाजिक दमन
- कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर भाजपा को सत्ता से बेदखल करने का किया आह्वान
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि देश के विकास के लिए नेताओं की बजाय मजबूत आदर्शो की जरूरत है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से केंद्र की मौजूदा भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए इन सिद्धांतों के आधार पर एक वैकल्पिक शक्ति तैयार करने का आह्वान किया। कोलकाता में पार्टी के 25वें राज्य सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि केंद्र की सत्तारूढ़ दल के अत्याचार से मुक्ति के लिए वे पूरे देश में लोगों के आंदोलन को मजबूत करें।
माकपा महासचिव ने केंद्र सरकार में आसीन भगवा पार्टी का एक मजबूत विकल्प तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, हमें केंद्र की नीतियों के खिलाफ एक मजबूत विकल्प तैयार करना होगा।
बकौल येचुरी, यदि हम केंद्र की इस अत्याचारी सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों के आंदोलन को मजबूत बनाने की दिशा में काम नहीं करते हैं तो इससे न ही खुद को मुक्त कर पाएंगे और न ही हमारी वर्तमान व भविष्य की पीढि़यों को बेहतर जीवन प्रदान कर सकेंगे। उन्होंने दावा करते हुए केंद्र पर आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार में हर दिन देश में आर्थिक व सामाजिक दमन बढ़ रहा है।
येचुरी ने पीएनबी घोटाले पर सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकारी परिसंपत्तियों की लूट को वह रोककर सरकार बेरोजगारी, कृषि सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे मुद्दे पर ध्यान दे। उन्होंने कहा, वर्तमान में देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है लेकिन संसाधनों को लूट लिया जा रहा है। गरीब को गरीब जबकि अमीर को अमीर बनाने का खेल चल रहा है।
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बंगाल के बिना कम्युनिस्ट आंदोलन नहीं बढ़ सकता आगे
येचुरी ने देश के कम्युनिस्ट आंदोलन में बंगाल के बहुमूल्य योगदान को याद करते हुए यहां के वामपंथी नेताओं व कार्यकर्ताओं से अपनी जमीन को मजबूत करने और आंदोलन को आगे बढ़ाने का रास्ता खोजने की अपील की। उन्होंने कहा, बंगाल के बिना कम्युनिस्ट आंदोलन देश में आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने सभी को एकजुट होकर एक बार फिर से वामपंथी आंदोलन को मजबूत नेतृत्व देने की आवश्यकता पर जोर दिया।