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बंद कमरे में भाई के शव के पास एक हफ्ते तक बैठी रही बहन

महानगरों की प्राइवेसी कैसे लोगों को समाज से दूर कर दे रही है, इसकी एक और बानगी कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी में देखने को मिली है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 16 May 2018 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 16 May 2018 02:20 PM (IST)
बंद कमरे में भाई के शव के पास एक हफ्ते तक बैठी रही बहन
बंद कमरे में भाई के शव के पास एक हफ्ते तक बैठी रही बहन

कोलकाता, जागरण संवाददाता। महानगरों की प्राइवेसी कैसे लोगों को समाज से दूर कर दे रही है, इसकी एक और बानगी कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना जिले के नैहाटी में देखने को मिली है। यहां अपने एक भाई के शव के साथ एक सप्ताह से घर में बंद होकर एक वृद्धा रह रही थी, लेकिन उसने ना तो पड़ोसियों और ना ही रिश्तेदारों को इस बारे में कोई जानकारी दी।

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महिला की पहचान सार्बनी पाल (60) के रूप में हुई है जबकि उसके मृत भाई का नाम अमरनाथ पाल (64) है। घटना नैहाटी थानांतर्गत एक नंबर वार्ड के बड़दा रोड इलाके की है। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को इनके कमरे से दुर्गध आने के बाद स्थानीय लोगों ने थाने को सूचित किया। मौके पर पहुंची पुलिस ने अंदर से बंद दरवाजे को तोड़ा तो वहां कमरे में अमरनाथ मरा पड़ा था जबकि पास ही सार्बनी बैठी हुई थी।

माना जा रहा है कि संभवत: उम्रजनित बीमारियों की वजह से वह मानसिक तौर पर स्थिर नहीं है जिसके कारण वह भाई की मौत के बारे में किसी को जानकारी नहीं दे सकी है। मौत की वजह व समय को समझने के लिए पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। साथ ही वृद्धा सार्बनी को अस्पताल में भर्ती कराया है।

एक सप्ताह से लोगों ने नहीं देखा था बाहर

इस बारे में स्थानीय लोगों ने बताया है कि करीब हफ्ते भर से सार्बनी को किसी ने भी घर से बाहर निकलते नहीं देखा था। उसके कमरे का दरवाजा भी प्राय: बंद ही रहता था। मंगलवार दोपहर दुर्गध आने के बाद लोगों को संदेह हुआ व पुलिस को सूचित किया गया।

बड़े भाई की मौत के बाद अमरनाथ के साथ रहती थी वृद्धा

बताया गया है कि सार्बनी के दो भाई थे। बड़े भाई काशीनाथ की मौत के बाद से वह छोटे भाई अमरनाथ के साथ रह रही थी। वह एक किराने की दुकान चलाता था। कुछ दिनों से उसकी तबीयत खराब हो जाने के कारण वह दुकान पर नहीं जा रहा था।

उल्लेखनीय है कि कोलकाता में इस तरह की कई घटनाएं घट चुकी हैं जिसमें लोग अपने मृतक परिजनों के साथ रहते रहे लेकिन पड़ोसियों को कानों-कान खबर नहीं लगी। 2015 का रॉबिंसन स्ट््रीट कांड तो पूरी दुनिया में सुर्खियों में छाया था। यहां पार्थ दे नाम का एक इंजीनियर अपनी मृत बहन के साथ छह महीने से अधिक समय तक रहा।

इसी साल मार्च महीने में बेहला थाना इलाके में एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ था जहां एक इंजीनियर बेटा अपनी मां के शव को तीन सालों से फ्रीजर में रखकर 50 हजार रुपये प्रति महीने पेंशन उठाता रहा लेकिन एक ही घर में रहने वाले उसके पिता तक को इसकी भनक नहीं लगी थी।


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