ज्ञानवापी प्रकरण पर बोले पुरी के शंकराचार्य, विकृत किए गए हिंदू देवस्थानों को वापस पाना हमारा अधिकार
मौलिक स्वरूप मानवाधिकार की सीमा में वापस प्राप्त करने का हमें अधिकार। अब यह सबका दायित्व है कि वे हमें (हिंदूओं) वापस सौंपे। शासन तंत्र देश हित में विपक्ष सिर्फ आंख मूंदकर विरोध करता है तो यह राष्ट्रदोह है। हावड़ा के सलकिया में शनिवार को दीक्षा कार्यक्रम में पुरीके शंकराचार्य।
राजीव कुमार झा, कोलकाता : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटा ज्ञानवापी मस्जिद इन दिनों विवादों में छाया हुआ है, जहां हिंदू पक्ष ने मस्जिद के भीतर शिवलिंग मिलने का दावा किया है। इस विवाद के बीच अब पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि आक्रांताओं द्वारा विकृत किए गए हमारे हिंदू देवस्थानों को वापस प्राप्त करना हमारा शाश्वत अधिकार है।
हमारा मौलिक स्वरूप मानवाधिकार की सीमा में वापस प्राप्त करने का हमें अधिकार
उन्होंने यह भी दावा किया कि आगरा स्थित ताजमहल में भी शिवालय ही था। बंगाल के हावड़ा स्थित सलकिया में दीक्षा कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए पुरी के शंकराचार्य ने शनिवार को यहां विशेष बातचीत में ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण पर पूछे गए सवाल पर स्पष्ट कहा कि हमारे हिंदू देवस्थानों को विकृत करके व आतंकवाद को फैलाकर कुछ लोगों ने इसे अपने अधिकृत कर लिया। अब हमारा मौलिक स्वरूप मानवाधिकार की सीमा में वापस प्राप्त करने का हमें अधिकार है।
अब यह सबका दायित्व है कि हमारे उन देवस्थानों को वे हमें (हिंदूओं) वापस सौंपे
शंकराचार्य ने कहा कि ज्ञानवापी में नींव को देखने से ही पता चलता है कि वहां उपर तक मंदिर के चिन्ह मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि जैसा कि सभी जानते हैं कि हमारे देश में बहुत वर्षों तक किन तंत्रों ने शासन किया। इस दौरान आक्रांताओं द्वारा हमारे देवस्थानों को लांछित व विकृत किया गया। अब यह सबका दायित्व है कि हमारे उन देवस्थानों को वे हमें वापस सौंपे और हमें (हिंदूओं) उन स्थानों पर अपने प्रभुत्व का पूर्ण अधिकार प्राप्त हो।
शासन तंत्र देश हित में, विपक्ष सिर्फ आंख मूंदकर विरोध करता है तो यह राष्ट्रदोह है
वहीं, इस प्रकरण पर विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि किस दल का शासन उत्तर प्रदेश में अधिक समय तक रहा और वह किसका अनुयायी था, इसपर विचार किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शासन तंत्र देश हित में काम कर रहा है और विपक्ष सिर्फ आंख मूंदकर उसका विरोध करता है तो यह राष्ट्रदोह है।
बंगाल में भर्ती घोटाले पर कहा- लोगों को सोचना चाहिए वे किसको जिताते हैं
वहीं, बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में मंत्रियों की संलिप्तता के बारे में पूछे गए सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि यहां वोट देने वाले लोगों को सोचना चाहिए कि वे किस पार्टी को जिताते हैं। जिसको अपने वोट के अस्तित्व का बोध ही नहीं है तो क्या होगा। शंकराचार्य ने यहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि जिस पार्टी के सांसद देश के संसद में खड़े होकर कहते हैं कि गोहत्या होगी-होगी-होगी और गाय गरीबों का भोजन है, वह पार्टी यदि शासन करती है तो इसका अर्थ है कि जनता की दिशाहीनता की यहां पराकाष्ठा है।