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सात समुंदर पार तिरंगा लहरा आया नन्हा चैंपियन !

उसकी उम्र ही क्या है, महज 13 साल..लेकिन उसने वो कारनामा कर दिखाया है, जो उसकी जितनी उम्र में अब तक कोई भारतीय नहीं कर पाया था।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 11:18 AM (IST)Updated: Thu, 26 Jul 2018 03:25 PM (IST)
सात समुंदर पार तिरंगा लहरा आया नन्हा चैंपियन !
सात समुंदर पार तिरंगा लहरा आया नन्हा चैंपियन !

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ।  उसकी उम्र ही क्या है, महज 13 साल..लेकिन उसने वो कारनामा कर दिखाया है, जो उसकी जितनी उम्र में अब तक कोई भारतीय नहीं कर पाया था। यह नन्हा चैंपियन है अमियो सुंदर विश्वास, जिसने क्रोएशिया में हुई 'डब्ल्यूकेएफ कराटे-1 यूथ लीग' में रजत पदक जीतकर मार्शल आर्ट की दुनिया में भारत का परचम लहराया है। अमियो ने अंडर-14 वर्ग में ईरान, जर्मनी, स्पेन, पुर्तगाल और इटली जैसे देशों के धाकड़ खिलाडि़यों को धूल चटाई। इस श्रेणी में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रजत पदक जीतने वाला अमियो पहला भारतीय बन गया है। क्रोएशिया के उमग में व‌र्ल्ड कराटे फेडरेशन की ओर से 28 जून से 8 जुलाई तक इस मार्शल आर्ट चैंपियनशिप का आयोजन किया गया था, जिसमें 65 देशों ने हिस्सा लिया।

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 पिछले चार वर्षों से नेशनल चैंपियन

कद चार फुट 10 इंच, वजन सिर्फ 35 किलो मगर हौसला विशालकाय। अमियो पिछले चार वर्षों से नेशनल चैंपियन है। उसने कॉमनवेल्थ गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीता है। अमियो की विलक्षण प्रतिभा का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर वह अब तक एक भी मुकाबला नहीं हारा है। अमियो इस समय ब्राउन-ब्लैक बेल्ट धारी है।

 विरासत में मिला मार्शल आर्ट

अमियो को मार्शल आर्ट विरासत में मिला है। उसके दादाजी और पिता दोनों मार्शल आर्ट खिलाड़ी रहे हैं। उन्हीं से इस खेल के प्रति दिलचस्पी जगी। ब्रूस ली और जैकी चेन अमियो के प्रेरणास्रोत हैं। हुगली जिले के कोन्नगर का रहने वाला अमियो मध्यमवर्गीय परिवार से है। उसके पिता विश्वजीत विश्वास एक बिस्कुट फैक्ट्री में काम करते हैं। मां नंदिता विश्वास छोटी सी दुकान चलाती हैं। मार्शल आर्ट के अलावा अमियो को क्रिकेट और कबड्डी भी पसंद है। अमियो कानाईपुर हाई स्कूल में नौवीं का छात्र है।

 कोच ने निखारा हुनर

अमियो की प्रतिभा निखारने में उनके कोच प्रेमजीत सेन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अमियो को शुरू से ही वे प्रशिक्षित करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा-'अमियो का कराटे के प्रति समर्पण भाव काबिले तारीफ है। यही उसकी सफलता की वजह है और उसे दूसरों से अलग बनाती है। कराटे का कोई शार्टकट नहीं होता। डब्ल्यूकेएफ कराटे-1 यूथ लीग के लिए अमियो रोजाना लंबा सफर तय करके उनके पास आकर 10-10 घंटे अभ्यास किया करता था, जो उसकी उम्र को देखते हुए बहुत ज्यादा और मुश्किल था।

 निगाहें अब ओलंपिक पर

अमियो भले अभी छोटा हो लेकिन उसकी आंखों में बड़े-बड़े सपने हैं। वह भारत को ओलंपिक में मार्शल आर्ट में स्वर्ण पदक जिताना चाहता है और इसके लिए अभी भी जमकर तैयारी कर रहा है। उसका अगला लक्ष्य 28-29 जुलाई को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में होने वाली चौथी अंतरराष्ट्रीय कराटे चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।


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