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अलग गोरखालैंड जीजेएम का एजेंडा, भाजपा कोई बंटवारा नहीं चाहती : दिलीप घोष

दिलीप घोष (Dilip Ghosh) का कहना है कि भाजपा ने कभी अलग राज्‍य की मांग नहीं की। अलग गोरखालैंड जीजेएम (Separate Gorkhaland GJM) का एजेंडा है हम किसी तरह का कोई बंटवारा नहीं चाहते हैं हमारी नीति स्‍पष्‍ट है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 08:21 AM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 08:21 AM (IST)
अलग गोरखालैंड जीजेएम का एजेंडा, भाजपा कोई बंटवारा नहीं चाहती : दिलीप घोष
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि हमने कभी अलग राज्‍य की मांग नहीं की

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि भाजपा ने कभी अलग राज्य की मांग नहीं की। जैसा विकास होना चाहिये था, नहीं हुआ। इस कारण आम लोगों का रोष भाजपा प्रतिनिधि बयां कर रहे हैं। अलग गोरखालैंड जीजेएम का एजेंडा है, भाजपा का नहीं। हमारी नीति स्पष्ट है, हम कोई बंटवारा नहीं चाहते हैं।

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उन्होंने कहा कि हम भी पहाड़ की समस्या का राजनीतिक समाधान चाहते हैं, लेकिन इसके लिए त्रिपक्षीय बातचीत होनी चाहिये। 5 साल पहले पहाड़ पर जो हंगामा हुआ, उसके लिए मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं। वह लोगों में बंटवारा कर लाभ लेती हैं। भाजपा हर जगह स्थायी राजनीतिक समाधान चाहती है। जीटीए चुनाव से कोई लाभ नहीं होने वाला है। भाजपा दूरदर्शी सोच के साथ दूरगामी समाधान चाहती है।

उन्होंने कहा कि इस बार भी पंचायत चुनाव में वैसी ही हिंसा होगी। राज्य चुनाव आयोग के अधीन सभी चुनावों में हिंसा और मारपीट होगी। हम भी लड़ेंगे, जैसे पिछली बार हमने लड़ा था। 5 वर्षों में हमारा संगठन बढ़ा है, हो सकता है कि टीएमसी इस बार अधिक हिंसा नहीं करेगी क्योंकि इसका परिणाम उसे लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।

राज्य में भय का माहौल बनाया गया जो अकल्पनीय है। इस कारण पार्टी रास्ते पर नहीं दिख रही थी जो हमारे सामने फिलहाल सबसे बड़ा चैलेंज है। कार्यकर्ताओं को सड़क पर लाकर हमने पुन: आंदोलन चालू किया है। हर स्तर पर कमेटी व नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया चल रही थी। नये लोग आये हैं तो काम में गति लाने में कुछ समय लगेगा।

कुछ परिवर्तन होने पर सब खुद को लेकर सोचने लगते हैं कि मेरा क्या होगा। ऐसे में लोग गुस्से में कुछ फेसबुक पर लिख देते हैं। बहुत लोग बाहर से आये थे ये कल्पना कर कि भाजपा की सरकार आ रही है, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। हालांकि उनके आने से अधिक लाभ नहीं हुआ था और जाने से अधिक नुकसान भी नहीं होगा। जो कार्यकर्ता निष्क्रिय हो गये हैं, उनके लिए बूथ स्तर पर कमेटी बनाने से लेकर आंदोलनों की शुरुआत की गयी है। पहले भाजपा कार्यकर्ताओं को टारगेट बनाया जा रहा था, लेकिन आज समाज के आम लोगों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है।संगठन को देखने के लिए हर महीने अमित शाह या जेपी नड्डा का दौरा होगा। इसके अलावा अन्य केंद्रीय नेताओं का भी बंगाल दौरा नियमित होगा।


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