जीवन बचाएगी भूस्खलन चेतावनी प्रणाली
इस अभियान के तहत लगाई जाने वाली प्रणाली भूस्खलन की अग्रिम चेतावनी देती है ताकि लोगों को आपदा से पहले सुरक्षित रूप से उस स्थान से हटा दिया जा सके।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। एनआइआरएफ रैंकिंग में भारत के आठ सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल
अमृता विश्व विद्यापीठम ने एक विशेष प्रणाली की मदद से पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों के जीवन को बचाने के लिए अभियान चलाया है। इस अभियान के तहत लगाई जाने वाली प्रणाली भूस्खलन की अग्रिम चेतावनी देती है ताकि लोगों को आपदा से पहले सुरक्षित रूप से उस स्थान से हटा दिया जा सके।
केरल के पश्चिमी घाटों में भारत की पहली ऐसी प्रणाली को सफलतापूर्वक स्थापित करने के बाद, अब सिक्किम-दार्जिलिंग बेल्ट में बारिश से प्रेरित भूस्खलन की समय पर चेतावनी देने वाली दूसरी प्रणाली सिक्किम में भी स्थापित की जा रही है। इस परियोजना को भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और अमृता विश्व विद्यापीठम के द्वारा संयुक्त रूप से वित्तीय मदद दी जाती है।
विश्वविद्यालय में भूस्खलन अनुसंधान का नेतृत्व करने वाली अमृता विश्व विद्यापीठम के सेंटर फॉर वायरलेस
नेटवक्र्स एंड एप्लीकेशन्स की निदेशक डॉ. मनीषा सुधीर ने बुधवार को कोलकाता में कहा कि भूस्खलन पृथ्वी पर तीसरी सबसे घातक प्राकृतिक आपदा है, जिसके कारण दुनिया भर में हर साल 300 से अधिक लोगों की मौत रही है। भारत में घातक भूस्खलन की संख्या अन्य देशों की तुलना में अधिक है। इंडियन रोड्स कांग्रेस की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि पश्चिमी घाट और कोंकण हिल्स, पूर्वी घाट, उत्तर पूर्व हिमालय और उत्तर पश्चिम हिमालय जैसे क्षेत्रों सहित भारत की 15 प्रतिशत जमीन भूस्खलन के खतरे के प्रति संवेदनशील है।
उत्तर पूर्व हिमालय में, सिक्किम-दार्जिलिंग बेल्ट में भूस्खलन का सबसे अधिक खतरा है, यही कारण है कि हमने हमारी भूस्खलन पहचान प्रणाली को स्थापित करने के लिए इस क्षेत्र को चुना है। इस मौके पर अमृता विश्व विद्यापीठम के उप कुलपति डॉ. वेंकट रंगन ने भी अपने विचार रखे।