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Chhath Puja 2020: कामेश्वर कामेश्वरी मंदिर में सैकड़ों छठ व्रतियोंं को बांटी गई साड़ियां एवं श्रृंगार सामग्री

बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित कामेश्वर कामेश्वरी मंदिर में छठ पूजा के उपलक्ष्य में छठव्रतियों साड़ी व श्रृंगार सामग्री बांटी गई। ज्ञात हो कि बुधवार को नहाय- खाय के साथ चार दिवसीय आस्था का महापर्व छठ शुरु हुआ।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 09:38 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 09:38 AM (IST)
Chhath Puja 2020: कामेश्वर कामेश्वरी मंदिर में सैकड़ों छठ व्रतियोंं को बांटी गई साड़ियां एवं श्रृंगार सामग्री
कामेश्वर कामेश्वरी मंदिर में छठ व्रतियो को साड़ियां एवं श्रृंगार सामग्री बांटी गई

कोलकता, राज्य ब्यूरो।  जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती  महाराज द्वारा स्थापित बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित कामेश्वर कामेश्वरी मंदिर में छठ पूजा के उपलक्ष्य में छठव्रतियों के बीच गुरुवार को साड़ी व श्रृंगार सामग्री बांटी गई। गुरुवार सुबह सर्वप्रथम श्रद्धालुओं ने मां कमेश्वर कामेश्वरी की आराधना की। माता रानी का भोग व आरती के बाद जय माता दी फाउंडेशन की ओर से सैकड़ों छठ व्रतियों के बीच साड़ी का वितरण किया गया। 

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 इस दौरान कोरोना महामारी के दौर में स्वास्थ्य विधि को मानते हुए छठ महापर्व का पालन किया जाए, यहां उपस्थित हुए लोगों से इसकी अपील की गई। मंदिर के पुरोहित विजय उपाध्याय ने बताया कि प्रत्येक साल की तरह इस वर्ष भी मंदिर परिसर में छठ करने वाली सैकड़ों महिलाओं को पूजा करने के लिए साड़ियां एव श्रृंगार का  सामान दिया गया। कार्यक्रम दोपहर बारह बजे तक चला। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में समाजसेवी विनोद जयसवाल, पंडित भूपेन्द्र तिवारी, श्याम सुन्दर सिंह, शंकर घोष, अमल विश्वास आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।

 बता दें कि बुधवार को नहाय- खाय के साथ चार दिवसीय आस्था का महापर्व छठ शुरू हुआ। गुरुवार शाम में छठ व्रतियों ने खरना किया। शुक्रवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाएगा एवं शनिवार सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ देने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा। गौरतलब है कि बंगाल में भी बड़े पैमाने पर हिंदी भाषी लोग छठ करते हैं। राजधानी कोलकाता सहित हावड़ा, हुगली व अन्य जिलों में विभिन्न गंगा घाटों व तालाबों में बड़े पैमाने पर छठ व्रती अर्घ्य देती हैं।


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