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सांसद आदर्श ग्राम योजना से बंगाल के सांसदों ने फेरा मुंह

राजीव कुमार झा, कोलकाता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अक्टूबर 2014 में शुरू किए सांसद आदश

By JagranEdited By: Published: Wed, 28 Mar 2018 05:59 AM (IST)Updated: Wed, 28 Mar 2018 05:59 AM (IST)
सांसद आदर्श ग्राम योजना से बंगाल के सांसदों ने फेरा मुंह
सांसद आदर्श ग्राम योजना से बंगाल के सांसदों ने फेरा मुंह

राजीव कुमार झा, कोलकाता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अक्टूबर 2014 में शुरू किए सांसद आदर्श ग्राम योजना से बंगाल के सांसदों ने पूरी तरह मुंह फेर लिया है। इस योजना के अब करीब चार साल पूरे होने को है, लेकिन बंगाल के अधिकतर सांसदों के गोद अभी तक सूनी हैं। सांसदों द्वारा अपने क्षेत्र के गांवों को आदर्श ग्राम बनाने की बात तो दूर अधिकतर ने इस योजना के तहत किसी गांव का चयन तक नहीं किया। बंगाल से लोकसभा के कुल 42 और राज्यसभा के 16 सांसद हैं, परंतु पहले, दूसरे और तीसरे चरण को मिलाकर अब तक यहां के महज नौ पंचायतों को ही सांसदों ने गोद लिया है। इस लिहाज से पूरे देश में सांसद आदर्श ग्राम योजना में बंगाल के सांसदों का सबसे निराशाजनक प्रदर्शन है।

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दरअसल, इस योजना के तहत मार्च 2019 तक हर संसदीय क्षेत्र से तीन ग्राम पंचायतों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसका मतलब है कि 42 लोकसभा सांसद और 16 राज्यसभा सांसद यदि तीन-तीन पंचायत को आदर्श ग्राम बनाने के लिए चुनते तो 2019 तक बंगाल का 174 ग्राम पंचायत आदर्श ग्राम बन जाता लेकिन सांसदों की उदासीनता ने लोगों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में देशभर के 543 लोकसभा सांसदों में से 43 सांसदों ने आदर्श ग्राम के लिए पंचायतों का चयन नहीं किया उनमें 37 सांसद बंगाल के हैं। इस चरण में यहां के सिर्फ पांच सांसदों ने ही पंचायत का चयन किया उनमें दो भाजपा के सांसद हैं।

दूसरे व तीसरे चरण में बंगाल के 42 में से 40 सांसदों ने कोई पंचायत का चयन नहीं किया। राज्यसभा सांसदों का प्रदर्शन तो और भी निराशाजनक है। तीनों चरण में अब तक बंगाल के किसी भी राज्यसभा सांसद ने एक भी पंचायत को आदर्श बनाने के लिए चुना तक नहीं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि विकास को लेकर कितना गंभीर है।

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आदर्श ग्राम चुनने में बाबुल सुप्रियो सबसे आगे

सांसद आदर्श ग्राम योजना में दिलचस्पी दिखाने वाले बंगाल के सांसदों में सिर्फ बाबुल सुप्रियो व विजय चंद्र बर्मन शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री व आसनसोल से भाजपा के सांसद बाबुल सुप्रियो ने तीनों चरण में अपने क्षेत्र के एक-एक पंचायत को आदर्श बनाने के लिए गोद लिया है। इसी तरह जलपाईगुड़ी से तृणमूल कांग्रेस के सांसद विजय चंद्र बर्मन ने भी तीनों चरण में एक पंचायत को गोद लिया है। इन दोनों को छोड़ किसी ने भी इस योजना में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। पहले चरण में बाबुल व बर्मन को छोड़ जिन तीन अन्य सांसदों ने पंचायतों को गोद लिया था उनमें पश्चिम मेदिनीपुर के घाटाल के तृणमूल सांसद दीपक अधिकारी उर्फ देव, दार्जिलिंग से भाजपा के सांसद एसएस अहलूवालिया, और उलबेड़िया से तृणमूल के दिवंगत सांसद सुलतान अहमद शामिल थे।

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यूपी, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान के सांसद काफी आगे

अपने संसदीय क्षेत्र के गांवों को आदर्श ग्राम बनाने के मामले में बंगाल को छोड़ उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड तमिलनाडु, राजस्थान, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश सहित लगभग सभी छाटे-बड़े राज्यों के सांसद काफी आगे हैं। 80 लोकसभा सांसदों वाले उत्तर प्रदेश से 249 गांवों को आदर्श ग्राम के लिए चुना। बिहार से 72, राजस्थान से 72, महाराष्ट्र से 121, गुजरात से 64, तमिलनाडु से 114, ओडिशा से 44, झारखंड से 50, कर्नाटक से 53 गांवों को आदर्श ग्राम के लिए चुना। बंगाल से काफी छोटे-छोटे राज्य इस योजना में काफी आगे है।

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तृणमूल सांसदों ने नहीं दिखाई दिलचस्पी

बंगाल के 42 लोकसभा व 16 राज्यसभा सांसदों में से बमुश्किल आधा दर्जन सांसदों को छोड़ अधिकतर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के हैं। ऐसे में इस योजना के प्रति बेरूखी को देखकर साफ लगता है कि मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ हमेशा हमलावर रहने वाली तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के सांसदों को पीएम की यह योजना रास नहीं आया और यह राजनीति का शिकार होकर रह गई।

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