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सागर घोष हत्याकांड में दो दोषियों को उम्रकैद

बता दें कि 21 जुलाई 2013 में तृणमूल नेता एवं निर्दलीय प्रत्याशी हृदय घोष के घर बदमाशों ने धावा बोल कर उनके पिता सागर घोष की गोली मारकर हत्या कर दी थी

By BabitaEdited By: Published: Sat, 28 Apr 2018 03:32 PM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2018 03:48 PM (IST)
सागर घोष हत्याकांड में दो दोषियों को उम्रकैद
सागर घोष हत्याकांड में दो दोषियों को उम्रकैद

कोलकाता, जेएनएन। वीरभूम जिले के पारुई में सियासी रंजिश के चलते करीब पांच वर्ष पूर्व पंचायत चुनाव के दौरान तृणमूल से बगावत करने वाले एक नेता के पिता सागर घोष की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में शुक्रवार को सिउड़ी अदालत ने दो दोषियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा शस्त्र अधिनियम में भी पांच वर्ष की सजा सुनाई गई है। साथ ही दोषियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जबकि साक्ष्य के अभाव में 6 आरोपियों  को रिहा कर दिया गया।

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बता दें कि 21 जुलाई 2013 में पारुई थाना अंतर्गत बांधनगर के नवग्राम में पार्टी से नाराज तृणमूल नेता एवं पंचायत चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी हृदय घोष के घर बदमाशों ने धावा बोल कर उनके पिता सागर घोष की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में अलग-अलग 2 एफआइआर दर्ज की गई थी। हालांकि मृतक के परिजनों ने वीरभूम जिला तृणमूल अध्यक्ष अनुब्रत मंडल और उनके समर्थकों पर भी हत्या करवाने का आरोप लगाया था। लेकिन जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी।

इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर हत्याकांड की जांच एसआइटी को सौंप दी गई थी। जांच पूरी कर 16 जुलाई 2014 में अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी गई थी। चार्जशीट में तृणमूल क्षेत्र समिति के सचिव शेख मुस्तफा, तृणमूल के उपनगर क्षेत्र अध्यक्ष शेख यूनुस, जलधर दास, जगन्नाथ दास, प्रिय मुखर्जी, भगीरथ घोष, सुब्रत राय तथा शेख असगर का नाम शामिल था। असगर को छोड़कर पुलिस ने सभी 7 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था।

4 जनवरी 2015 में सिउड़ी जिला अदालत में आरोप तय किए गए थे। इसके बाद फरवरी से सिउड़ी के तत्कालीन जिला जज गौतम सेनगुप्ता की अदालत में मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। लेकिन चार्जशीट को लेकर असंतुष्ट मृतक की पत्नी सरस्वती घोष, पुत्रवधू शिवानी घोष तथा बेटा हृदय घोष गवाही के लिए कोर्ट में हाजिर नहीं हुए थे। उधर, मृतक के परिवार ने घटना की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निचली अदालत में चल रही सुनवाई प्रक्रिया स्थगित हो गई थी। लेकिन 7 अगस्त 2015 में मृतक के बेटे हृदय घोष ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सीबीआइ जांच को दायर याचिका को वापस ले लिया था।

इसके बाद एक बार फिर सिउड़ी जिला अदालत में हत्याकांड मामले की सुनवाई शुरू हुई जिसमें 47 लोगों के गवाही दर्ज की गई थी। गत 21 मार्च को सुनवाई पूरी कर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। गत गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए हत्याकांड में भगीरथ घोष तथा सुब्रत राय को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई। इसके अलावा शस्त्र अधिनियम में पांच वर्ष की भी सजा का आदेश दिया। साथ ही दोनों पर एक-एक लाख रुपये का भी जुर्माना भी लगाया। अदा नहीं करने पर एक-एक वर्ष अतिरिक्त सजा काटने का भी आदेश दिया।

जबकि साक्ष्य के अभाव में शेख मुस्तफा, जगन्नाथ दास, प्रिय मुखर्जी, जलधर दास, शेख यूनुस तथा असगर अली को बेकसूर मानते हुए रिहा कर दिया। उधर, मृतक के परिवार ने कोर्ट के फैसले पर असंतोष जताते हुए हाईकोर्ट में जाने की बात कही है। 


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