आरपीएफ की सक्रियता ने बच्चों को गलत हाथों में पड़ने से बचाया
पिता की डांट पर घर की दहलीज लांघ आई किशोरी लेकिन आरपीएफ की सक्रियता से दोनों बच्चों को गलत हाथों में पड़ने से पहले ही हिफाजत में ले लिया गया।
हावड़ा, जागरण संवाददाता। कहीं पिता की डांट पर घर की दहलीज लांघ आई किशोरी तो कहीं पढ़ाई में मन नहीं लगने पर मदरसा से भाग आया छात्र। लेकिन आरपीएफ की सक्रियता से दोनों बच्चों को गलत हाथों में पड़ने से पहले ही हिफाजत में ले लिया गया। किशोरी को पिता के सुपुर्द कर दिया गया तो बच्चे को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया।
सूत्रों के अनुसार आरपीएफ नार्थ पोस्ट में तैनात सब इंस्पेक्टर कौशल कुमार, एएसआइ एस सरकार तथा महिला कांस्टेबल बेबी दास हावड़ा ओल्ड काम्प्लेक्स में चेकिंग कर रहे थे। इसी बीच पैसेंजर एरिया में करीब 17 वर्षीय किशोरी बदहवास अवस्था में मिली। संदेह के आधार पर पूछताछ की गई तो उसने अपना पता असम के डिब्रुगढ़ जिला अंतर्गत डिकोन आउट पोस्ट के नारायणा टी स्टेट बताया। खुलासा किया कि किसी बात को लेकर पिता ने उसे डांट दिया था। इससे नाराज होकर वह घर छोड़कर ट्रेन में बैठ गई थी।
उधर, परिजनों ने गत 6 नवंबर को किशोरी की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी। आरपीएफ ने किशोरी को हिफाजत में लेकर परिजनों को सूचना दे दी। इसके बाद रिश्तेदार के साथ हावड़ा पहुंचे पिता संतोष प्रजापति पुत्र महावीर प्रजापति द्वारा दिखाए गए दस्तावेज का सत्यापन करने के बाद आरपीएफ ने कानूनी प्रक्रिया को पूरी करवा कर किशोरी को उनके सुपुर्द कर दिया। बेटी को सकुशल पाकर परिजनों ने आरपीएफ के कार्य की सराहना की।
उधर, उक्त टीम को सात वर्षीय एक बच्चा प्लेटफार्म पर घूमता मिला। हिफाजत में लेकर उससे पूछताछ की गई तो उसने अपना नाम दिलशाद अंसारी (7) पुत्र अताउल रहमान निवासी बिहार के मुजफ्फरपुर जिला के मीनापुर थाना अंतर्गत पिपराहा बताया। खुलासा किया कि वह कोलकाता के राजाबाजार स्थित मदरसा में पढ़ाई करता है। लेकिन मदरसा में उसका मन नहीं लगने की वजह से वह बिना बताए वहां से भाग कर आ गया था। घर जाने के लिए वह ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहा था। आरपीएफ ने बच्चे को चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया।