समाज का अंधियारा दूर करने का प्रयास कर रहीं रोशनआरा, कट्टरपंथियों के निशाने पर
60 वर्षीया रोशनआरा खान पिछड़े वर्ग में रोशनी फैलाने का कार्य कर रही हैं।कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने के बावजूद वह यह कार्य किए जा रही हैं।
मेदिनीपुर, देवनाथ माईती। पश्चिम मेदिनीपुर जिलांतर्गत केशपुर के सुताईगेड़ा की रहने वाली 60 वर्षीया रोशनआरा खान अपने नाम को सार्थक करते हुए पिछड़े वर्ग में रोशनी फैलाने का कार्य कर रही हैं। जीवटता यह कि तमाम धमकियों व लगातार कट्टरपंथियों के निशाने पर रहने के बावजूद वह यह कार्य लगातार किए जा रही हैं।
जिले के गड़वेत्ता में जन्मीं रोशन का ब्याह महज 13 साल की उम्र में केशपुर के शाहजहां खान से हुआ। रोशन बताती हैं कि तब वह इस अन्याय का प्रतिवाद करने की स्थिति में नहीं थी। बालपन की बेबसी में उसे सब कुछ सहन करना पड़ा। इसी से उसके मन में प्रतिवादी स्वभाव का अंकुरण हुआ।
समाज में नजर आने वाली गलत बात का वे हमेशा विरोध करती रही हैं। कन्या भ्रूण हत्या और तीन तलाक जैसी बुराइयों के खिलाफ भी उन्होंने खुलकर बोलने का साहस जुटाया। इसके चलते उसे लगातार धमकियां मिलती रहीं। कुछ धमकी भरे पत्र भी मिले लेकिन इसकी उन्होंने कभी परवाह नहीं की।
इस बीच रोशन के प्रतिवादी स्वभाव की जानकारी होने के बाद जिला सूचना व तथ्य संस्कृति विभाग ने उनका उपयोग मुस्लिम और पिछड़े समाज में सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जनजागृति अभियान फैलाने में किया।
इससे उनकी प्रसिद्धि बढ़ी और राजधानी कोलकाता तक जा पहुंची। इसके फलस्वरूप उन्हें कुछ चैनलों में आयोजित बहस कार्यक्रम में भी जगह मिली। वह सेफ डेमोक्रेसी जैसी प्रगतिशील संस्था से जुड़ीं और पिछड़े समाज के लिए काफी कार्य किया। जीवन के अपने अनुभवों को उन्होंने पुस्तकों में पिरोया। भाषा अत्यंत सरल होने के कारण उनकी पुस्तकों को समाज में व्यापक स्वीकृति मिली।
रोशन मानती है कि अपनी सोच के चलते आधुनिक वर्ग में होने वाली बहसों व अल्पशिक्षित होते हुए भी विश्वविद्यालयों तक में आयोजित सेमिनारों में बोलने का अवसर मिलना उनके लिए बड़े सम्मान की बात है और उन्हें उम्मीद है कि उनके वर्ग के दूसरे लोग भी इससे सीख लेते हुए नकारात्मक बातों और सोच से बचेंगे।
रोशन को संतोष है कि परिवार और समाज में तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद उन्हें उनके पति शाहजहां खान का हमेशा साथ मिला। इस मामले में वे खुशनसीब हैं, हालांकि इसकी सार्थकता इसी में है कि समाज की दूसरी महिलाएं भी इससे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें।