Move to Jagran APP

अमन का पैगाम लेकर पाकिस्तान जाएंगे रिक्शा चालक सत्यन

-भारत से लाहौर तक के 2077 किलोमीटर फासले को रिक्शा चलाकर करेंगे तय - युद्ध नहीं शांति चाह

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 10:56 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 10:56 AM (IST)
अमन का पैगाम लेकर पाकिस्तान जाएंगे रिक्शा चालक सत्यन
अमन का पैगाम लेकर पाकिस्तान जाएंगे रिक्शा चालक सत्यन

-भारत से लाहौर तक के 2,077 किलोमीटर फासले को रिक्शा चलाकर करेंगे तय

prime article banner

- युद्ध नहीं, शांति चाहते हैं सत्यन, कहा,आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता

- रिक्शे से कर चुके हैं वैष्णवदेवी का दर्शन

जागरण संवाददाता, हावड़ा : पेशे से रिक्शा चालक हैं सत्यन दास। पूरे दिन रिक्शा चलाकर जो आमदनी होती है, उससे पत्नी व बेटी का पालन-पोषण किसी तरह से कर पाते हैं। कोलकाता के गरिया इलाके में किराये के एक मकान में भले ही बेहद दरिद्र जीवन जी रहे हों, लेकिन उनकी सोच ऊंची हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच उत्पन्न हालिया माहौल को लेकर वो बेहद चिंतित हैं। दोनों देशों के बीच बने युद्ध के संभावित हालात को लेकर वह बेहद निराश भी हैं। सत्यन का कहना है कि युद्ध से किसी को कुछ हासिल नहीं होने वाला। अमन से ही भारत के साथ दुनिया के बाकी देश, विकास के पथ पर आगे बढ़ सकते हैं। कहा लड़ाई हो पर खेल के मैदान में। गेंद व बल्ले से जवाब देने की वकालत उन्होंने की।

दोनों देशों के बीच अमन के इस पैगाम के साथ रिक्शा चालक सत्यन इमरान खान के पाकिस्तान का सफर करना चाहते हैं। वह भारत से लाहौर तक के 2,077 किलोमीटर फासले को रिक्शा चलाकर तय करेंगे। यह सफर उनके लिए नया नहीं है। इससे पहले भी वह रिक्शा चलाकर लद्दाख समेत कई दूरियों को माप चुके हैं।

अमन के इस पैगाम के लिए दुश्मन देश पाकिस्तान को ही चुनने के प्रश्न पर झल्लाते हुए उन्होंने पाकिस्तान को दुश्मन देश कहे जाने पर अपनी आपत्ति जताई। कहा, मैं वाकिफ हूं, कि पुलवामा हमले में देश के जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। दुख जताते हुए सत्यन ने कहा कि इस घटना की जितनी निंदा की जाए कम है। इस हमले ने दोनों देशों के बीच माहौल को बेहद खराब किया है। सत्यन ने सवाल किया और कहा कि इसमें पाकिस्तान की आम जनता का कसूर क्या है। आतंकी संगठन एक के बाद एक हमले की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता। ऐसे लोग मानवता के शत्रु होते हैं। मैं, समझता हूं कि पाकिस्तान में भी मेरी तरह काफी तादात में लोग हैं जो, युद्ध नहीं चाहते। युद्ध की स्थिति में अंतत: आम आदमी को ही नुकसान उठाना पड़ता है। सत्यन ने कहा कि यही कारण है कि मैं चाहता हूं कि पाकिस्तान जाकर वहां शांति व अमन का पैगाम दूं।

सत्यन के दिन की शुरुआत सुबह घर से सत्तू पीकर रिक्शा लेकर निकलने से होती है। बेहद तंगहाली के बीच भी वे जीवन को जिंदादिली से जीने की हर मुमकिन कोशिश करते हैं। रिक्शा लेकर लंबी-लंबी दू्रियों को मापने का यह सफर नया नहीं है। इसका शुभारंभ साल 1993 में हुआ था। पत्नी व बेटी को लेकर रिक्शा से ओडिशा के पुरी जा चुके हैं। रिक्शा से कश्मीर और वैष्णवदेवी का भी दर्शन कर चुके हैं। सफर के दौरान हमेशा से उन्होंने अमन व शांति का पैगाम दिया है। रास्ते में मिलने वाले हर शख्स से वह अमन की अपील करते हैं। रिक्शा चलाकर आखिर वह इस प्रकार के सफर के लिए वित्तीय जरूरत को कैसे पूरा करते हैं, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि स्थानीयक्लब इसमें काफी सहयोग करता है। इतना ही नहीं क्लब के सदस्य उन्हें मानसिक तौर पर उत्साहित करते हैं।

उन्होंने साफ कहा कि क्लब के सदस्यों के समर्थन के बगैर उनके लिए इस प्रकार के सफर को पूरा कर पाना बेहद मुश्किल होता। क्लब के सदस्यों के अनुसार एक रिक्शा चालक होकर सत्यन में अमन व शांति को लेकर जो संजीदगी है, वह काबिल-ए-तारीफ है। उसकी इसी सोच के कारण हम उसकी मदद नैतिक जिम्मेवारी के तहत करते आ रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.