रिटायर्ड कर्नल जीवन कुमार सिंह का 90 दिनी फूड चैलेंज! जितनी भूख उतना भोजन...
मैं अपनी इस कोशिश को राष्ट्रीय मुहिम में तब्दील करना चाहता हूं। मेरे इस अभियान से रोजाना डेढ़ हजार लोग जुड़ रहे हैं -रिटायर्ड कर्नल जीवन कुमार सिंह
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। अन्न न जाए डस्टबिन में, अन्न न जाए नाली में, जितनी हो भूख उतना भोजन रखो अपनी थाली में... इस ध्येय के साथ सेना के रिटायर्ड कर्नल जीवन कुमार सिंह देशवासियों के सामने ‘90 डेज फूड चैलेंज’ पेश कर रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे समय जब पूरा विश्व कोरोना संकट से जूझ रहा है, भोजन को नष्ट होने से बचाना परम आवश्यक है। वरना आने वाले समय में खाद्य संकट पैदा हो सकता है।
भोजन के साथ ही बिजली और पानी जैसे संसाधनों की भी बचत करनी होगी। झारखंड से शुरू हुई रिटायर्ड कर्नल की यह मुहिम रंग ला रही है। सेना के उच्च पदस्थ अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अफसर, जन प्रतिनिधि और आम लोग इस फूड चैलेंज को स्वीकार करते हुए न सिर्फ इस पर अमल कर रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी इससे जोड़ रहे हैं।
वर्तमान में झारखंड पुलिस में एसपी (स्पेशल टास्क फोर्स) पद पर आसीन 55 साल के इस शख्स ने बताया, मैंने हिंदी में दो मिनट का एक वीडियो तैयार कर लोगों को अपनी थाली में अन्न का एक भी दाना नहीं छोड़ने का चैलेंज दिया है। चैलेंज स्वीकार करने वालों से भोजन के बाद अपनी खाली थाली की तस्वीर मुझे वाट्सएप पर भेजने को कहा है। उन तस्वीरों को मान्यता प्रदान करते हुए हमारे यूट्यूब चैनल ‘नेशन बिफोर सेल्फ’ में अपलोड किया जाएगा और उन लोगों को दूसरों के सामने रोल मॉडल की तरह पेश किया जाएगा।
रिटायर्ड कर्नल सिंह ने कहा, मैंने 90 दिनों का चैलेंज इसलिए दिया है क्योंकि लगातार तीन महीने तक किसी चीज का अभ्यास करने पर वह व्यवहार बन जाता है। यह व्यवहार बन गया तो खाने-पीने की चीजों का नुकसान नहीं होगा। इससे राशन की जरूरत भी कम पड़ेगी। इस समय यह बहुत जरूरी है। बाजार में भीड़ कम होगी तो लॉकडाउन को सफल किया जा सकेगा। जितनी तेजी से कोरोना वायरस फैल रहा है, हमें उससे भी तेजी से इस मुहिम को फैलाना होगा ताकि इस त्रासदी के कारण देश में आगे खाद्य संकट उत्पन्न न होने पाए।
वह कहते हैं, दुनिया में एक तिहाई भोजन का नुकसान होता है इसलिए इस मुहिम को सिर्फ कोरोना संकट के टलने तक ही जारी नहीं रखना है, बल्कि आगे ले जाकर आने वाली पीढ़ियों को भी इससे जोड़ना है। अंग्रेजी में एक कहावत है कि चैरिटी बिगिंस एट होम। मैंने भी इस मुहिम की शुरुआत अपने घर से ही की। उसके बाद पिछले साल झारखंड पुलिस की अपनी स्पेशल आक्जीलरी पुलिस (सैप) बटालियन में इसे लागू किया। मैं अपने जवानों को भोजन करने के बाद खाली थाली की तस्वीर मुझे वाट्सएप करने के लिए कहता था। उन लोगों के नाम मैं कॉमन नोटिस बोर्ड में डिस्प्ले करता था। इस तरह हमने पहले भी काफी भोजन नष्ट होने से बचाया है।
रिटायर्ड कर्नल ने कहा, भोजन की तरह ही पानी और बिजली की बचत भी बहुत आवश्यक है। यह भी मुहिम का हिस्सा है। मेरी लोगों से अपील है कि बेवजह बत्तियां न जलाएं, पंखा और पानी का नल खुला न छोड़ दें। मिलजुल कर अपने संसाधन बचाएं और संकट का सामना करने में देश को योगदान दें। बता दें कि यह वही कर्नल सिंह हैं जो गणतंत्र दिवस परेड कार्यक्रम में उद्घोषक की जिम्मेदारी संभालते हैं।
क्या है फूड चैलेंज : दो मिनट का एक वीडियो तैयार कर लोगों को अपनी थाली में अन्न का एक भी दाना नहीं छोड़ने का चैलेंज दिया है। चैलेंज स्वीकार कर वीडियो भेज रहे लोग, जिसे यूट्यूब चैनल ‘नेशन बिफोर सेल्फ’ पर किया जा रहा साझा। मिल रही सराहना।
मैं अपनी इस कोशिश को राष्ट्रीय मुहिम में तब्दील करना चाहता हूं। मेरे इस अभियान से रोजाना डेढ़ हजार लोग जुड़ रहे हैं। 90 दिनों में देश के अलगअलग हिस्सों के लोगों को इस मुहिम से जोड़ने का लक्ष्य है।
-रिटायर्ड कर्नल जीवन कुमार सिंह