जीडीपी का आकार बढ़ने से अधिक मुद्रा की होगी जरूरत : रिजर्व बैंक
भारतीय रिजर्व बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकार जिस लिहाज से बढ़ रहा है, उससे अर्थव्यवस्था में अधिक मुद्रा की आवश्यकता होगी।
जागरण संवाददाता, कोलकाता : भारतीय रिजर्व बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकार जिस लिहाज से बढ़ रहा है, उससे अर्थव्यवस्था में अधिक मुद्रा की आवश्यकता होगी। महानगर में आयोजित एक वार्ता सत्र में बोलते हुए अधिकारी ने कहा- नवंबर, 2016 में सरकार ने 500 और 1000 रुपये के बड़े नोट बंद किए थे। उसके बाद प्रणाली में नकदी कम हो गई थी। अब जीडीपी की वृद्धि दर बढ़ने के बाद प्रणाली में अधिक मुद्रा की आवश्यकता हो सकती है। नोटबंदी के बाद रिजर्व बैंक ने 500 और 2000 रुपये का नया नोट जारी किया था। अधिकारी ने आगे कहा कि नोटबंदी के बाद सिस्टम में जाली नोटों में काफी कमी आई है। जो भी जाली नोट अभी सिस्टम में हैं, वे काफी हल्के-फुल्के रूप में हैं। रिजर्व बैंक घरेलू मुद्रा में अब अधिक सुरक्षा उपायों वाला नोट जारी करेगा। इसके लिए पात्रता पूर्व का निविदा नोटिस भी निकाला गया है।
इस मौके पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बारे में रिजर्व बैंक के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि रिजर्व बैंक जमा लेने वाले एनबीएफसी के लिए बैंकिंग लोकपाल नियुक्त करेगा। इसके साथ ही डिजिटल लोकपाल भी होगा। रिजर्व बैंक वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय रणनीति पर काम कर रहा है। रिजर्व बैंक ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योग (एमएसएमई) के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जिससे उन्हें बैंक से ऋ ण बिना किसी परेशानी के मिल सके।