West Bengal Election 2021: राजीब बनर्जी बोले-निजी हमलों से बेहद आहत हूं, भारी मन से मंत्रिमंडल छोड़ना पड़ा
West Bengal Election 2021 इस्तीफे के बाद राजीब बनर्जी ने कहा कि पार्टी नेताओं के एक धड़े के खिलाफ आवाज उठाने पर उनके खिलाफ हो रहे व्यक्तिगत हमलों से बेहद आहत होकर उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। ममता बनर्जी मंत्रिमंडल से शुक्रवार को इस्तीफा देने वाले तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीब बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी नेताओं के एक धड़े के खिलाफ आवाज उठाने पर उनके खिलाफ हो रहे व्यक्तिगत हमलों से बेहद आहत होकर उन्होंने राज्य के वन मंत्री के पद से इस्तीफा दिया है। बनर्जी ने हालांकि आने वाले दिनों में पार्टी छोड़ने की योजना के बारे में पूछे जाने पर कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने राजभवन में राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुझे कुछ शिकायतें थीं और मैंने पार्टी नेतृत्व को उस बारे में बता दिया था। पार्टी प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मेरी बात भी हुई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। बल्कि नेताओं के एक धड़े ने मुझ पर व्यक्तिगत हमले किए। उन्होंने कहा, मैं व्यक्तिगत हमले से बेहद आहत हुआ, इसलिए मैंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।
संवाददाताओं से बातचीत के दौरान राजीब के आंखों में आंसू भी थे। उन्होंने कहा कि बहुत भारी मन से मैंने इस्तीफा दिया है। हावड़ा के डोमजूर से विधायक बनर्जी ने कहा कि जब ढ़ाई वर्ष पूर्व उन्हेंं बिना नोटिस के सिंचाई मंत्री के पद से हटाया गया था तब भी उन्होंने मंत्रिमंडल छोडऩे का फैसला किया था, लेकिन तब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुझे ऐसा करने से रोक दिया था। बनर्जी ने मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा किया और कहा कि राज्य की जनता की सेवा करने का मौका देने के लिए वह सदैव उनके ऋणी रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जो जिम्मेदारी दी गई उसे पूरी निष्ठा के साथ किया। लोगों की तन-मन-धन से सेवा की। आगे भी हम लोगों की सेवा करते रहेंगे।
बंगाल के राज्यपाल ने राजीब का इस्तीफा स्वीकार किया
इधर, बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सलाह पर राज्य मंत्रिपरिषद से राजीब बनर्जी का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। बनर्जी वन मामलों के मंत्री थे। राज्यपाल ने एक आदेश में कहा, तुरंत प्रभाव के साथ राजीब बनर्जी अब मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं रह जाएंगे। धनखड़ ने आदेश में कहा है कि मुख्यमंत्री की सिफारिश के अनुरूप वन विभाग प्रभार मुख्यमंत्री के पास ही होगा। दूसरी ओर, राज्य सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि राजीब का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया, बल्कि मुख्मयंत्री ने उन्हें मंत्रिपरिषद से हटा दिया है। दरअसल, राजीब ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में इस्तीफा सौंपने के बाद राजभवन जाकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भी इस्तीफा पत्र सौंपा और उनके साथ एक घंटे से ज्यादा समय तक बैठक भी की। राज्य सरकार का कहना है कि यह असंवैधानिक है, इसीलिए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं कर मंत्री पद से हटा दिया गया है।
अब तक तीन मंत्री दे चुके हैं इस्तीफा
बंगाल में अप्रैल-मई में ही विधानसभा का चुनाव होना है और उससे पहले लगातार तृणमूल के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। राजीब बनर्जी तीसरे मंत्री हैं जिन्होंने इस्तीफा दिया है। बनर्जी से पहले कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी और लक्ष्मी रतन शुक्ला ने इस्तीफा दिया था। 27 नवंबर को परिवहन मंत्री पद से इस्तीफे के बाद सुवेंदु पिछले महीने 19 दिसंबर को तृणमूल के छह अन्य विधायकों एवं एक लोकसभा सांसद के साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं, तीन दिन पहले नदिया के शांतिपुर से तृणमूल विधायक अरिंदम भट्टाचार्य ने भी दिल्ली जाकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इससे पहले उत्तर बंगाल से एक तृणमूल विधायक मिहिर गोस्वामी भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
राजीब के इस्तीफे पर बोले सुवेंदु, भाजपा में शामिल होने वालों की बहुत बड़ी है तालिका
इधर, मंत्री पद से राजीब बनर्जी के इस्तीफे का स्वागत करते हुए भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि हम बहुत खुश हैं। उन्होंने कहा कि अभी देखते रहिए आगे-आगे होता है क्या, क्योंकि भाजपा में शामिल होने वालों की तालिका बहुत बड़ी है।
तृणमूल समुद्र है, एक-दो नेता के जाने से नहीं पड़ेगा कोई फर्क
इधर, राजीब के इस्तीफे पर तृणमूल कांग्रेस के महासचिव व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि तृणमूल समुद्र है इसलिए एक दो बूंद जल निकलने (यानी एक दो नेता) के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
राजीब के इस्तीफे पर विवाद, ममता का दावा हमने मंत्री पद से हटाया
इधर, राजीब बनर्जी के मंत्री पद से इस्तीफे पर विवाद भी खड़ा हो गया है। दरअसल, राजीब ने ममता बनर्जी के कार्यालय में इस्तीफा पत्र जमा देने के बाद राजभवन जाकर राज्यपाल को भी इस्तीफा पत्र सौंपा और उनके साथ एक घंटे तक बैठक भी की। यह बात राज्य सरकार को नागवार गुजरी है। राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि चूंकि मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री करतीं हैं इसीलिए सीधे राज्यपाल को जाकर इस्तीफा सौंपना संवैधानिक नियमों के विरुद्ध है। सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि इस्तीफा स्वीकार करने की बजाय मुख्यमंत्री ने राजीब को मंत्री पद से हटा दिया है।