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पूजा पंडाल को मिलने वाले अनुदान पर कोर्ट का 11 तक स्थगनादेश

ममता बनर्जी द्वारा दुर्गा पूजा में प्रत्येक पंडाल को 10 हजार रुपए दिए जाने वाले अनुदान पर स्थगनादेश की मियाद को फिर से बढ़ा दी गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 12:52 PM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 12:52 PM (IST)
पूजा पंडाल को मिलने वाले अनुदान पर कोर्ट का 11 तक स्थगनादेश
पूजा पंडाल को मिलने वाले अनुदान पर कोर्ट का 11 तक स्थगनादेश

कोलकाता, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दुर्गा पूजा में प्रत्येक पंडाल को 10 हजार रुपए दिए जाने वाले अनुदान पर स्थगनादेश की मियाद को फिर से बढ़ा दी गई है। मामले पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट ने आगामी मियाद गुरुवार (11 अक्टूबर) तक बढ़ाने का निर्देश दिया है।

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यह निर्देश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश देवाशीष कर गुप्त व न्यायाधीश शंपा सरकार की खंडपीठ ने दी। हालांकि हाईकोर्ट बुधवार को भी इस मामले पर सुनवाई जारी रखेगा। यहां बता दें कि 10 सितंबर को सुश्री बनर्जी ने पूजा समितियों और पुलिस के साथ समन्वय बैठक को संबोधित करते हुए राज्य भर में 28 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया था। 

उल्लेखनीय है कि मामले की ग्रहणयोग्यता को लेकर राज्य के एडवोकेट जनरल किशोर दत्त व शक्तिनाथ मुखर्जी ने सवाल उठाए। उनका कहना था कि मामले की ग्रहणयोग्यता नहीं है। राज्य की ओर से यह पैसे दुर्गा पूजा में अनुदान के तौर पर नहीं दिए जा रहे हैं। यह सरकारी परियोजना के पैसे हैं जो निश्चित सरकारी काम में उपयोग किए जा रहे हैं। सरकार किस परियोजना में कितना खर्च करेगी इसे लेकर करदाता प्रश्न नहीं उठा सकते। अदालत भी इन पैसों के खर्च को लेकर हस्तक्षेप नहीं कर सकती।

बजट में इसमें प्रावधान किया गया है जहां से यह पैसे दिए गए हैं। अगले वर्ष के बजट में इसे दिखाया जाएगा। हालांकि राज्य सरकार के इस दावे पर खंडपीठ ने सवाल उठाया। खंडपीठ का कहना था कि कम्यूनिटी पुलिसिंग के लिए बजट एक करोड़ रुपये थे वह बढ़कर 28 करोड़ कैसे हुए। पैसे सही तरीके से खर्च न होने पर उसकी जिम्मेदारी किसकी है? याचिकाकर्ता कह रहे हैं कि पैसों का दुरुपयोग हो सकता है।

अदालत यदि सरकारी परियोजना में हस्तक्षेप न भी करे तो कोई भी राज्य किसी गाइडलाइन या निगरानी के बगैर निजी संस्थान को क्या पैसे दे सकती है? इस मामले में खंडपीठ का प्राथमिक तौर पर मानना है कि निगम कहां कितनी जलापूर्ति करती है वह उसका विषय हो सकता है लेकिन पाइपलाइन में छेद होने पर अदालत क्या मरम्मत की दिशा में कुछ नहीं करेगी? यदि नहीं करती है तो जलापूर्ति बाधित होगी।

गौरतलब है कि राज्य के वित्तीय कोष में कमी के बावजूद वर्तमान सरकार ने 2011 में सत्ता में आने के बाद से विभिन्न क्लबों को करीब 600 करोड़ रुपये वितरित किए हैं। यह बात दीगर है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य पर बाकी कर्ज को लेकर पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार को जिम्मेवार ठहराती रही हैं। मुख्यमंत्री यह भी आरोप लगाती रही हैं कि केंद्र सरकार राज्य को मिलने वाले विभिन्न परियोजनाओं की राशि में कटौती कर रहा है। 


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