राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में पंचायत चुनाव के पहले मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने लोगों तक संपर्क बढ़ाने के लिए ‘दीदी का सुरक्षा कवच‘ जनसंपर्क अभियान शुरू कराया है। इस अभियान के तहत तृणमूल के नेता, मंत्री, सांसद,विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि ‘दीदी के दूत’ बनकर गांव-गांव जा रहे हैं और लोगों से मिल कर सरकारी योजनाओं के बारे में बताने के साथ-साथ उनकी परेशानी व समस्या सुन रहे है।
लेकिन दीदी के दूतों को लगातार आम लोगों के विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ रहा है। तृणमूल विधायक व विधानसभा में डिप्टी स्पीकर आशीष बनर्जी को मंगलवार को अपने ही गृह जिले में विरोध का सामना करना पड़ा। वह ‘दीदी का दूत’ बनकर लोगों से संपर्क करने के लिए बीरभूम जिले के एक गांव पहुंचे थे। बनर्जी इसी जिले से विधायक हैं।
टीएमसी ने जनसंपर्क को बनाया अपना हथियार
बता दें कि इस साल बंगाल में पंचायत चुनाव है और सभी पार्टियां लोगों तक पहुंचने के लिए हर तरह की कोशिश कर रही है। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी तृणमूल नेतृत्व भी जनसंपर्क को ही अपना मुख्य हथियार बनाया है।
रामपुरहाट से आशीष बनर्जी विधाय है। इसी क्षेत्र के मोहम्मद बाजार इलाके के रहने वाले लोगों ने उनका विरोध किया। साथ ही कहा कि उन्हें लंबे समय से इलाके में नहीं देखा गया।
मोहम्मद बाजार क्षेत्र के ग्रामीणों ने उन्हें ‘धूमकेतु ’बताते हुए कहा कि वे एक खगोलीय वस्तु हैं जो वर्षों के लंबे अंतराल के बाद देखे जाते हैं। उनका आरोप है कि क्षेत्र में वर्षों से जर्जर सड़कों की मरम्मत के लिए कोई काम नहीं किया गया।

तृणमूल नेताओं को करना पड़ रहा है विरोध का सामना
आशीष बनर्जी ने बाद में कहा कि वह कार्यक्रम के तहत गांवों का दौरा कर रहे हैं ताकि लोगों की शिकायतों के बारे में जाना जा सके और उनकी समस्याओं का निदान किया जा सके। बताते चलें कि हर दिन तृणमूल के नेता, सांसद, विधायक और मंत्री तक को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि लोगों का विरोध नहीं हो रहा है वे अपनी समस्या बता रहे हैं। इसे विरोध का नाम नहीं दिया जा सकता।