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Pranab Mukherjee: बरसात में गमछा पहन कर दो किलोमीटर नंगे पैर चलकर स्कूल जाते थे प्रणब मुखर्जी

प्रणब के बचपन के मित्र को पूर्व राष्ट्रपति की जीवनी लिखने की इच्छा पूरी नहीं होने का मलाल बरसात में गमछा पहन कर दो किलोमीटर नंगे पैर चलकर स्कूल जाते थे प्रणब मुखर्जी

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 08:11 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 01:44 PM (IST)
Pranab Mukherjee: बरसात में गमछा पहन कर दो किलोमीटर नंगे पैर चलकर स्कूल जाते थे प्रणब मुखर्जी
Pranab Mukherjee: बरसात में गमछा पहन कर दो किलोमीटर नंगे पैर चलकर स्कूल जाते थे प्रणब मुखर्जी

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी अब हमारे बीच नहीं हैं। परंतु, बंगाल के बीरभूम जिले के एक सुदूर गांव मिराती से देश के पहले नागरिक बनने तक का उनका सफर आसान नहीं था। कभी स्कूल जाने के लिए उन्हें कई किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलना पड़ता था। उनके बचपन के मित्र प्रोफ़ेसर अमल कुमार मुखोपाध्याय के अनुसार, 1940 के दशक में बरसात (मानसून) के समय में प्रणब मुखर्जी गमछा पहन कर करीब 2 किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलकर अपने गांव के स्कूल में पढ़ने जाते थे।

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आलम ये था कि बैग में कॉपी किताब के साथ प्रणब अपना कपड़ा व अलग से एक गमछा रखते थे ताकि बारिश से भरे खेत को पार कर स्कूल पहुंचने के बाद वे अपने कपड़े बदल सकें। साल 1952 में बीरभूम जिले के एक कॉलेज में भर्ती होने के बाद लगभग सात दशकों तक मुखर्जी के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए प्रख्यात शिक्षाविद मुखोपाध्याय ने कहा कि वह अपने मित्र की जीवनी लिखने की इच्छा को पूरा नहीं कर सके, इसका उन्हें हमेशा मलाल रहेगा।

दरअसल, दोनों दोस्तों ने कुछ समय पहले तय किया था कि मुखोपाध्याय अंग्रेजी में पूर्व राष्ट्रपति की जीवनी लिखेंगे। मुखोपाध्याय ने बताया, बीमार होने से कुछ दिन पहले, प्रणब ने मुझे फोन किया और कहा कि इसमें देर हो रही है और मुझे बताया कि कोरोना महामारी खत्म होने के बाद वह कोलकाता आएंगे और मुझे किताब के लिए अपना साक्षात्कार रिकॉर्ड करने के लिए पूरे तीन दिन समय देंगे, लेकिन वह नहीं होना था। कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख मुखोपाध्याय ने कहा कि प्रणब ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव मिराती के एक सरकारी स्कूल से प्राप्त की और फिर किरनहार में शिबचंद्र उच्च विद्यालय (हाई स्कूल) में गए।

मुखोपाध्याय ने कहा, 'उस समय, क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जिले के लाभपुर शहर भेजा जाता था, लेकिन प्रणब के पिता कामदा किंकर मुखोपाध्याय एक आदर्शवादी थे, वे चाहते थे कि वह पास के किरनहार के स्कूल में ही अपनी पढ़ाई करे। ऐसा ही हुआ।' उन्होंने कहा, 'चूंकि गांव की सड़कें आमतौर पर मानसून के दौरान कीचड़युक्त और जलभरी होती थीं, इसलिए उन्हें (प्रणब को) अपने बैग में पैंट रखकर कई बार गमछा पहनना पड़ता था और दो किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाना पड़ता था।' हाई स्कूल की शिक्षा के बाद 1 जुलाई, 1952 को दो हाफ पैंट पहने लड़के मुखर्जी और मुखोपाध्याय - ने सूरी विद्यासागर कॉलेज में क्लास अटेंड की और फिर जीवन भर की दोस्ती के बीज वहां पड़ गए।

मुखोपाध्याय के अनुसार, स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद प्रणब कोलकाता आए और यहां कलकत्ता विश्वविद्यालय में तुलनात्मक दर्शनशास्त्र में दाखिला लिया। लेकिन प्रणब को यह विषय पसंद नहीं आई और वे फिर राजनीति विज्ञान को चुन लिया। राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री करने के बाद, एलएलबी (बैचलर ऑफ लॉ) की डिग्री प्राप्त करने से पहले मुखर्जी ने इतिहास में मास्टर्स भी किया।

मुखोपाध्याय ने कहा कि उनके दोस्त (प्रणब) उस समय एक निजी ट्यूटर के रूप में काम करते थे क्योंकि उन्होंने कोलकाता में अपनी मास्टर डिग्री हासिल करने के दौरान अपने पिता से पैसे नहीं लेने का फैसला किया था। फिर पारास्नातक करते हुए प्रणब ने अपनी दोस्त सुव्रा घोष से 1957 में शादी की। प्रोफेसर मुखोपाध्याय ने कहा, यह उस समय प्रणब का दो क्रांतिकारी निर्णय था। पहले, उन्होंने तब शादी की, जब वे एक छात्र थे और दूसरी बात, यह एक अंतरजातीय विवाह था।

क्योंकि प्रणब एक रूढ़िवादी ब्राह्मण परिवार से थे। प्रणब बाद में सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए।1969 में एक युवा राज्यसभा सदस्य के रूप में कांग्रेस ने उन्हें ऊपरी सदन में भेजा। प्रणब का जो यह सफर शुरू हुआ फिर वह कभी पीछे मुड़कर नहीं देखे और धीरे-धीरे नई ऊंचाइयों पर पहुंचते गए। 2012 में राष्ट्रपति बनने से पहले वित्त, रक्षा और विदेश मामलों सहित कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की उन्होंने जिम्मेदारी संभाली जिसमें पांच दशकों से अधिक का उनका राजनीतिक कैरियर था। 


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